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weight loss tips - तेजी से वजन घटाने का सुपरफूड है लाैकी, एेसे करें सेवन/Teji se vajan ghatane ka suparfood hai laoki, aise karen sevan

March 02, 2019
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Teji se vajan ghatane ka suparfood hai laoki, aise karen sevan


आजकल लाेगाें में माेटापा बहुत ही आम हाे गया हैं लगभग हर कोई इस समस्‍या से ग्रस्‍त है। हालांकि इस समस्‍या से बचने के लिए हम तरह-तरह के उपाय भी अपनाते हैं। लेकिन वजन घटाने के लिए आसपास की मौजूद चीजों की तरफ हमारा ध्‍यान कभी नहीं जानता। क्‍या आप जानते हैं कि सब्जी के रूप में खार्इ जाने वाली लाैकी से आसानी से वजन पर काबू किया जा सकता है।ताे आइए जानते हैं कैसे वजन कम करती है लाैकी -
लौकी वजन कम करें
सब्जी के ताैर पर खार्इ जाने वाली लाैकी तेजी से वजन कम करने में सहायक होती है। वजन कम करने की चाह रखने वाले लोगों के लिए लौकी सबसे अच्‍छे फूड में से एक है। लौकी में 96 प्रतिशत पानी और इसके 100 ग्राम में सिर्फ 12 कैलोरी होती है। साथ ही इसमें फाइबर भी भरपूर मात्रा में होता है। आप इसका सेवन सब्‍जी या जूस किसी भी रूप में कर सकते हैं।
वजन घटाने एेसे मदद करती है लाैकी
फाइबर और पानी से भरपूर होने के कारण यह भूख पर अंकुश लगाने में मदद करता है। अगर आप इसका जूस सुबह नाश्‍ते में ले लेते हैं तो फाइबर समृद्ध से दिन की शुरूआत करने के कारण नाश्‍ते में ज्‍यादा नहीं खा पाते। यानी लौकी में फाइबर की अधिक मात्रा के कारण इसके सेवन से जल्द भूख नहीं लगती और पेट भी भरा-भरा सा लगता है।

इसका जूस एक अद्भुत नाश्‍ते के रूप में काम करता है। लौकी का एक गिलास जूस और फलों का बाउल भूख महसूस होने पर एक आदर्श दोपहर का स्‍नैक्‍स हो सकता है।लौकी के जूस को छलनी से नहीं छानना चाहिए क्‍योंकि ऐसा करने से वजन घटाने का महत्‍वपूर्ण तत्‍व यानी फाइबर निकल जाता है। साथ ही इस बात का भी ध्‍यान रखें कि सिर्फ लौकी का जूस पीने से आपका वजन कम नहीं हो सकता है। इसके साथ आपको कम कैलोरी आहार और पर्याप्‍त मात्रा में एक्‍सरसाइज को भी शामिल करना चाहिए।



weight loss tips - तेजी से वजन घटाने का सुपरफूड है लाैकी, एेसे करें सेवन/Teji se vajan ghatane ka suparfood hai laoki, aise karen sevan weight loss tips - तेजी से वजन घटाने का सुपरफूड है लाैकी, एेसे करें सेवन/Teji se vajan ghatane ka suparfood hai laoki, aise karen sevan Reviewed by health on March 02, 2019 Rating: 5

अगर आप भी पेट से जुड़ी समस्या से परेशान हैं तो अनार से एेसे करें उपचार/Agar aap bhi pet se judee samasya se pareshaan hai to anaar se ese karen upachaar

March 02, 2019
Agar aap bhi pet se judee samasya se pareshaan hai to anaar se ese karen upachaar


Agar aap bhi pet se judee samasya se pareshaan hai to anaar se ese karen upachaar



अनार एक गुणकारी और सेहत के लिए कई तरीकों से लाभदायक फल है, आनर में त्रि-दोष यानी वायु,पित्त और कफ से जुड़ी समस्याएं दूर करने की क्षमता होती है। आइये जानते हैं अनार से होने वाले फायदों के बारे में...
अनार के दानों में आयरन की मात्रा काफी ज्यादा होती है। एक अनार का सेपन रोज किया जाए या अनार का जूस रोज पीया जाए तो शरीर में खून की कमी नहीं होती। अनार से शरीर के खून में लाल रक्त कणिकाओं की वृद्धि होती है।
सूखे अनारदाने का चूर्ण पाचन क्रिया को अच्छा बनाता है। अनार का चूर्ण अपच, गैस, बदहजमी, खट्टी डकार जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाता है। अनार का शर्बत गर्मी और अधिक प्यास लगने की समस्या को दूर करता है।
खांसी होने पर अनार के छिलके का टुकड़ा मुंह में रखकर उसके रस को चूसने से बार-बार खांसी नहीं आती।
आयुर्वेद में अनार के दाने, छिलका, फूल, पत्ते, जड़ और अनार के वृक्ष की छाल का औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है।



अगर आप भी पेट से जुड़ी समस्या से परेशान हैं तो अनार से एेसे करें उपचार/Agar aap bhi pet se judee samasya se pareshaan hai to anaar se ese karen upachaar अगर आप भी पेट से जुड़ी समस्या से परेशान हैं तो अनार से एेसे करें उपचार/Agar aap bhi pet se judee samasya se pareshaan hai to anaar se ese karen upachaar Reviewed by health on March 02, 2019 Rating: 5

Cancer can be defended, just keep these points carefully - कैंसर से हाे सकता है बचाव, बस इन बाताें का रखें ध्यान

February 03, 2019
Cancer can be defended, just keep these points carefully

Cancer can be defended, just keep these points carefully         

Cancer can be defended, just keep these points carefully - चिकित्सकों का कहना है कि कैंसर के कारण देश में होने वाली 22 फीसदी मौतों का कारण पैसिव स्मोकिंग हैं। वहीं निम्न आयवर्ग वाले देशों में हेपेटाइटिस और पेपिलोमा वायरस का संक्रमण कैंसर के 25 फीसदी मामलों का कारक हैं। चिकित्सकों ने बताया है कि कुछ उपाय अपनाकर पर्यावरणीय कारकों से होने वाले कैंसर से बचा जा सकता है।

इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स की सर्जिकल ओंकोलॉजी की सीनियर कंसल्टेंट (महिला) डॉ. रमेश सरीन ने पर्यावरणीय कारकों से होने वाले कैंसर से बचने में मददगार कुछ महत्वपूर्ण उपाय सुझाए हैं :

वायु प्रदूषण से बचें :
दिल्ली, कोलकाता एवं अन्य कई शहरों में प्रदूषण अपने घातक स्तर पर पहुंच गया है। अच्छा होगा कि इन शहरों में रहने वाले लोग धूल, कार एवं फैक्टरी से निकलने वाले धुएं, निर्माण स्थलों से निकलने वाली धूल, तंबाकू के धुएं (एक्टिव और पैसिव) से बचने के लिए मास्क का इस्तेमाल करें। साथ ही वायु प्रदूषण के कारणों को पहचान कर इन्हें कम करने की जरूरत है। जागरूकता के द्वारा फेफड़ों के कैंसर को कम करने के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं।

जल प्रदूषण से बचें :
अच्छी सेहत के लिए साफ पानी होना बहुत जरूरी है। हमें सुनिश्चित करना होगा कि हमारे आस-पास मौजूद वाटर बॉडीज (जल निकायों) को जैविक एवं ओद्यौगिक प्रदूषकों से संदूषित न होने दिया जाए। पानी में डाले जाने वाले रसायन और व्यर्थ पदार्थ पेट एवं लिवर की बीमारियों जैसे हेपेटाइटिस का कारण बन सकते हैं और यह कैंसर का रूप भी ले सकता है।
हाल ही में पानी में आर्सेनिक का स्तर बढऩे के कारण त्वचा के कैंसर के मामले भी बढ़ रहे हैं। ऐसे में वायु प्रदूषण की रोकथाम के प्रयास कैंसर के मामलों को कम करने में मददगार हो सकते हैं।

अपने काम पर ध्यान दें :अगर आपका काम ऐसा है कि आप काम के दौरान हानिकर रसायनों जैसे एस्बेस्टॉस, बेंजीन एवं अन्य सॉल्वेंट्स, आर्सेनिक उत्पादों, डाई-ऑक्सिन, क्रोमियम, लेड, फाइबर आदि के संपर्क में आते हैं तो कैंसर की संभावना बढ़ती है। इसलिए उद्योगों में काम करने वालों को रोकथाम के उपाय अपनाने चाहिए।

कीटनाशकों, आर्टीफिशियल कलर एवं प्रिजरवेटिव का इस्तेमाल न करें :सब्जियों और फलों में इस्तेमाल किए जाने वाले कीटनाशक या खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल होने वाले आर्टीफिशियल कलर, प्रिजरवेटिव आदि स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं। इनका बहुत ज्यादा मात्रा में सेवन कैंसर का कारण बन सकता है। इसलिए इन चीजों से बचने की कोशिश करें, खाद्य पदार्थों के ऑर्गेनिक विकल्प अपनाएं।



Cancer can be defended, just keep these points carefully - कैंसर से हाे सकता है बचाव, बस इन बाताें का रखें ध्यान Cancer can be defended, just keep these points carefully - कैंसर से हाे सकता है बचाव, बस इन बाताें का रखें ध्यान Reviewed by health on February 03, 2019 Rating: 5

Do Chutki Besan Se Milegi Gori Rangat Aur Mulayim Tauvcha - दाे चुटकी बेसन से मिलेगी गाेरी रंगत आैर मुलायम त्वचा

February 03, 2019
Do Chutki Besan Se Milegi Gori Rangat Aur Mulayim Tauvcha

Do Chutki Besan Se Milegi Gori Rangat Aur Mulayim Tauvcha     

Do Chutki Besan Se Milegi Gori Rangat Aur Mulayim Tauvcha - सर्दियाें के माैसम में अगर आपकी त्वचा रूखी आैर बेजान हाे गर्इ है ताे घबराएं नहीं, अाज हम आपकाे बताएंगे बेसन के एेसे घेरेलू नुस्खाें के बारे में जाे अापकी त्वचा में नर्इ जान डाल देंगे।ताे आइए जानते हैं कि त्वचा और बालों के लिए कि‍तना फायदेमंद है बेसन :
- बेसन एक नेचुरल स्क्रब है, जो त्वचा से डेड स्‍कि‍न को साफ करने में फायदेमंद होता है। अगर आपके शरीर से बदबू आती है तो भी आप बेसन का इस्तेमाल बॉडी-वॉश की तरह कर सकते हैं।
- ऑयली स्किन वाले लोगों को अक्सर मुंहासों की समस्या हो जाती है। अगर आपकी त्वचा भी ऑयली है तो बेसन का पैक आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा।
- अगर आपको भी गोरी रंगत की चाहत है तो बेसन में नींबू मिलाकर लगाने से फायदा होगा। साथ ही इससे ब्लैकहेड्स की भी समस्या दूर हो जाती है।
- बेसन एक नेचुरल चीज है। यह मृत कोशिकाओं को हटा कर त्वचा को कोमल और चमकदार बनाने का काम करता है।
- बेसन त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं, जैसे रूखी-बेजान त्वचा, डार्क सर्कल, पिंपल्स और दाग-धब्बों को दूर करने में फायदेमंद होता है। इसके अलावा ये चेहरे पर मौजूद छोटे-छोटे बालों को भी दूर करने में कारगर होता है।



Do Chutki Besan Se Milegi Gori Rangat Aur Mulayim Tauvcha - दाे चुटकी बेसन से मिलेगी गाेरी रंगत आैर मुलायम त्वचा Do Chutki Besan Se Milegi Gori Rangat Aur Mulayim Tauvcha - दाे चुटकी बेसन से मिलेगी गाेरी रंगत आैर मुलायम त्वचा Reviewed by health on February 03, 2019 Rating: 5

Jaldi Motapa Ghatane Ke Liye Apnayein Ye Tips - जल्दी माेटापा घटाने के लिए अपनाएं ये टिप्स

February 03, 2019
अगर आप भी बढ़ते वजन से परेशान है ताे इससे छुटकारा पाने के लिए आप कुछ हेल्थी टिप्स भी अपना सकते हैं जिनसे आप फिट और स्वस्थ दोनों रह सकते हैं। आइए जानें तेजी से वजन घटाने के कुछ आसान टिप्स :-
- तेजी से वजन घटाने के लिए जरूरी है कि आप एक्सरसाइज शुरू कर दें। शुरूआत में चाहे आप एक्सरसाइज कम करें लेकिन बाद में इसका समय बढ़ा दें।
Jaldi Motapa Ghatane Ke Liye Apnayein Ye Tips

Jaldi Motapa Ghatane Ke Liye Apnayein Ye Tips    

Jaldi Motapa Ghatane Ke Liye Apnayein Ye Tips - एक्स‍रसाइज से पहले आप वॉर्मअप करना न भूलें। इसमें आप बॉडी को स्ट्रैच कर सकते हैं, जंप कर सकते हैं या फिर टहल कर सकते हैं। इससे आपकी बॉडी में गर्माहट आ जाएगी फिर आप दौड़ने-उछलने-कूदने वाली एक्सरसाइज आराम से कर पाएंगे।

- एक्सरसाइज के समय अपने साथ पानी रखें जिससे आपको जल्दी थकान न हो और आपकी सांस न फूलें।
- आप सुबह उठकर प्रतिदिन खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू और शहद मिलाकर पीएं।
- जंकफूड और बाहर की चीजें चॉकलेट, केक, टॉफी, आइसक्रीम, कैंडी इत्यादि को बिल्कुल भी न खाएं।

- मिठाई आपकी पसंदीदा हो सकती हैं लेकिन तेजी से वजन कम करने के लिए जरूरी है कि आप मिठाई, चीनी, चीनीयुक्त खाद्य पदार्थ और नमक को बिल्कुल भूल जाएं या इनकी मात्रा कम कर दें।

- खाने में आप सब्जियों में आलू, अरबी, कचालू इत्यादि भी न खाएं और चावल भी मांड निकाल कर खाएं।
- खाना खाने के तुंरत बाद बैठे नहीं बल्कि कुछ देर टहलें, आपने यदि खाने के वक्‍त अतिरिक्‍त कैलोरी खाई भी है तो टहलने से वह बर्न हो जाएगी।खाना खत्म करने के लिए ओवर ईटिंग बिलकुल न करें।



Jaldi Motapa Ghatane Ke Liye Apnayein Ye Tips - जल्दी माेटापा घटाने के लिए अपनाएं ये टिप्स Jaldi Motapa Ghatane Ke Liye Apnayein Ye Tips - जल्दी माेटापा घटाने के लिए अपनाएं ये टिप्स Reviewed by health on February 03, 2019 Rating: 5

Khansi Zukam Kaff - खांसी, जुकाम, कफ

February 03, 2019
Khansi Zukam Kaff

Khansi Zukam Kaff       

Khansi Zukam Kaff - सर्दी के मौसम में सबसे आम समस्या है खांसी। अकसर लोगों को भ्रम रहता है कि खांसी अपने आप ही ठीक हो जाएगी, लेकिन ज्यादा दिनों तक खांसी, टीबी जैसी भयानक बीमारी की वजह भी बन सकती है।

करें घरेलू उपचार -
अदरक की चाय, आधा चम्मच अदरक का रस शहद के साथ लेने, मुलैठी चूसने, गर्म पानी के गरारे करने से खांसी में आराम मिलता है।

लें आयुर्वेद का सहारा -
खांसी होने पर सितोपलादि चूर्ण का नाम सबसे पहले लिया जाता है। खांसी के साथ अगर बलगम भी आए तो महालक्ष्मीविलास रस की एक-एक गोली, कठफलादि चूर्ण या तालीसादि चूर्ण आधा चम्मच पानी के साथ दो बार लेने से भी फायदा होता है।

होम्योपैथी में उपचार -
होम्योपैथी विशेषज्ञ के अनुसार सूखी खांसी हो तो ब्रायोनिया अलबम-30, स्पॉन्जिया-30, एकोनाइट-30, बैलाडोना-30 जैसी दवाइयां कारगर हैं। वहीं बलगम वाली खांसी में हीपरसेल्फ-30, एंटिमटार्ट-30, आईपीकॉक-30 व फॉस्फोरस-30 लेने से मरीज को आराम मिलता है। जुकाम व बुखार के साथ होने वाली खांसी के लिए एलियम सीपा-30, फेरमफॉस-30 तथा बड़ी उम्र के लोगों में होने वाली काली खांसी के लिए ड्रॉसेरा-30, नक्सवोमिका-30 और स्टिक्टा-30 की सलाह दी जाती है। लेकिन इन दवाओं का प्रयोग डॉक्टरी सलाह से ही करें।

कफ : नेचुरोपैथी विशेषज्ञ के अनुसार कफ के लिए कुंजल कराया जाता है, जिसमें कागासन की मुद्रा में बैठकर नींबू, नमक मिला चार गिलास हल्का गुनगुना पानी पीते हैं। फिर 90 डिग्री की मुद्रा में खड़े होकर बाएं हाथ से नाभि को हल्का दबाते हैं और दाएं हाथ के अंगूठे की बगलवाली दो अंगुलियों को मुंह में डालकर उल्टी करके सारा पानी बाहर निकाल देते हैं। इसके बाद कपालभाति कराई जाती है, जिससे पानी पूरी तरह शरीर से बाहर निकल जाए।

सिरदर्द में : देसी घी को गुनगुना कर इसकी दो-दो बूंद सुबह-शाम नाक में डालने से सिरदर्द में आराम मिलता है।
बार-बार सर्दी-जुकाम होने पर 100 ग्राम सरसों के तेल में 2 लहसुन की कलियां पका लें। फिर तेल को ठंडा करके छान लें। इस तेल की दो-दो बूंद सुबह-शाम नाक में डालें, जल्द आराम मिलेगा।
अस्थमा : रोगियों को दिन में एक बार गर्म पानी में पैर रखने चाहिए और गुनगुने पानी से स्नान करना चाहिए।



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Vocal hygiene is the problem of sore throat - वोकल हाईजीन से दूर हाेती है गला बैठने की समस्या

February 03, 2019
Vocal hygiene is the problem of sore throat

Vocal hygiene is the problem of sore throat       

Vocal hygiene is the problem of sore throat - तेेज आवाज में बोलने, गाना गाने या ज्यादा ठंडा पानी पीने से अक्सर आपका गला बैठ जाता है? जवाब हां है तो आपको वोकल हाईजीन की जरूरत है। आइए जानते हैं इसके बारे में:-

ऊंचा बोलना
विशेषज्ञों के अनुसार हमारी आवाज के तार यानी वोकल कॉर्ड काफी नाजुक होते हैं। जब हम तेज आवाज में बोलेते हैं तो उनमें सूजन आ जाती है या कई बार उनमें दाने भी हो जाते हैं, जिन्हें वोकल नोड्यूलर कहा जाता है। यह तकलीफ टीचर्स, वकीलों और गायकों को ज्यादा होती है।

ऐसा करें
अगर आपका गला बार-बार बैठ जाता है तो एक साथ ना बोलें, चिल्लाएं नहीं, ज्यादा लोगों को संबोधित करना हो तो माइक आदि का प्रयोग करें, बोलते समय बीच-बीच में पानी के सिप लेते रहें ताकि गला सूखे नहीं। चाय, कॉफी और अल्कोहल का प्रयोग ना करें। ये सभी बातें वोकल हाईजीन के रूप में आवाज को क्लियर (साफ) रखती हैं।

ठंडा पानी पीना
हमारी आवाज के तारों में जब कंपन होता है तो हम बोल पाते हैं। एकदम ठंडा पानी पीने से इन पर प्रभाव पड़ता है और गला बैठ जाता है।

ऐसा करें:
सामान्य तापमान का पानी ही पिएं। कोल्ड ड्रिंक या कोल्ड कॉफी से परहेज करें।

गला साफ करना
अक्सर लोग बार-बार अपना गला साफ करते रहते हैं। ऐसा न करें क्योंकि इससे वोकल कॉर्ड पर दबाव पड़ता है और गले में खराश रहने लगती है।

ऐसा करें: एक-दो सिप पानी पिएं।
ध्यान रहे
रात को सोते समय ज्यादा तैलीय भोजन ना करें क्योंकि सोते समय पेट में बनने वाला एसिड गले में आ जाता है और वोकल कॉर्ड को नुकसान हो सकता है।



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Sawasth Dil Aur Nikhri Tauvcha - स्वस्थ दिल और निखरी त्वचा

February 03, 2019
Sawasth Dil Aur Nikhri Tauvcha

Sawasth Dil Aur Nikhri Tauvcha              

Sawasth Dil Aur Nikhri Tauvcha - अब दिल के डॉक्टर अपने मरीजों को स्वस्थ हृदय के लिए सीमित मात्रा में अखरोट खाने की सलाह देने लगे हैं। अध्ययनों से पता चला है कि जब रोगियों को अन्य वसा के स्थान पर 13 अखरोट रोजाना खाने के लिए दिए गए तो उनके हृदय की रक्तवाहिनियां पहले से अधिक लचीली हो गईं, जिससे हृदय में रक्तसंचार बेहतर हुआ। अखरोट में कोलेस्ट्रॉल कम करने वाला एल्फा लिनोलिक एसिड और ब्लड प्रेशर घटाने वाला एल आर्जीनिन होता है। इसमें मौजूद अमीनो फैटी एसिड त्वचा की चमक को बनाए रखता है।

विटामिन सी से त्वचा में होगा निखार -
अमरीकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रीशन में प्रकाशित शोध के अनुसार विटामिन-सी त्वचा को निखारता है। पपीता, कीवी, संतरा, अनानास और स्ट्रॉबेरी जैसे फल रोजाना खाने से न सिर्फ त्वचा में चमक आती है बल्कि झुर्रियां भी कम होती हैं। विटामिन-सी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को सूर्य की हानिकारक किरणों से भी बचाता है। इसके अलावा यह त्वचा को लचीलापन देने वाले कोलाजन का निर्माण करता है। विटामिन-सी युक्त फलों के गूदे को स्किन पर पैक की तरह भी लगा सकते हैं।


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Leman Grass Se Taiyar Krein Unani Chai - लेमन ग्रास से तैयार करें यूनानी चाय

February 03, 2019
Leman Grass Se Taiyar Krein Unani Chai

Leman Grass Se Taiyar Krein Unani Chai      

Leman Grass Se Taiyar Krein Unani Chai  - सर्दी के मौसम में खांसी और जुकाम जैसे रोग होना आम बात है। ऐसे में इज्.खर मकी या लेमन ग्रास एक ऐसा पौधा है, जिसकी पत्तियों से बनाई गई सर्दी के मौसम में खांसी और जुकाम जैसे रोग होना आम बात है। ऐसे में इज्.खर मकी या लेमन ग्रास एक ऐसा पौधा है, जिसकी पत्तियों से बनाई गई चाय कई रोगों में फायदेमंद होती है। आइए जानते हैं इसकी उपयोगिता के बारे में।

फायदे : यह चाय सर्दी-जुकाम, बदनदर्द, गले में दर्द, सीने में दर्द, नजला और जोड़ों के दर्द में फायदेमंद होती है।

गुण : एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर यह चाय सर्दी के अलावा किसी भी मौसम में पी जा सकती है। चाय बनाने के लिए सूखी व ताजी दोनों तरह की लेमन ग्रास का इस्तेमाल किया जा सकता है।

ऐसे बनाएं -
एक कप चाय के लिए पानी में इज्.खर मकी के पौधे की 3-4 पत्तियों को उबाल लें। उबाल आने पर इसमें स्वादानुसार चीनी डालें। पानी में पत्तियों का रंग आने के बाद छानकर इस्तेमाल करें। इस चाय को भोजन करने के आधा घंटा बाद पी सकते हैं।



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Egg Donation Karne Mein Rakhye Ye Saudhaniya - एग डोनेशन करने में रखिए ये सावधानियां

February 03, 2019
Egg Donation Karne Mein Rakhye Ye Saudhaniya

Egg Donation Karne Mein Rakhye Ye Saudhaniya    

Egg Donation Karne Mein Rakhye Ye Saudhaniya - एग डोनेशन या ओसाइट डोनेशन की मदद से वे महिलाएं भी मां बन सकती हैं, जिनके अपने अंडे कम होते हैं और उन्हें संतान की प्राप्ति नहीं हो पा रही होती है। वैसे उम्रदराज महिलाएं संतान पाने के लिए एग डोनेशन की इस प्रक्रिया को ज्यादा अपनाती हैं।

यह है प्रक्रिया -
एग डोनेशन एक सुरक्षित प्रक्रिया है। जिसमें कुछ ब्लड टेस्ट के बाद डोनर द्वारा दिए गए अंडे को बायोलॉजिकल पिता के शुक्राणुओं के साथ लैब में फर्टिलाइज कराया जाता है। फिर विकसित होने वाले भ्रूण को लैब डिश में विकसित कर मां के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इस तरह पैदा हुए बच्चों में कुछ अंश डोनर के भी देखने को मिलते हैं।

कम उम्र में एग डोनेशन -
कम उम्र में एग डोनेशन से इंफेक्शन का खतरा रहता है, पेट के अंदरुनी भाग में रक्तस्राव से सर्जरी करानी पड़ सकती है। यूट्रस और ओवरी में संक्रमण होने पर प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। गर्भधारण के लिए दवा ले रहीं हों तो अधिक मेडिसिन खाने से ओवेरियन कैंसर का खतरा भी हो सकता है।

आईवीएफ के लाभ -
इसकी सफलता के आसार उन मामलों में अधिक होते हैं, जहां नॉन डोनर एग के साथ आईवीएफ कराया जाता है। इसमें डोनर की उम्र व अंडे की गुणवत्ता अच्छी होने से आईवीएफ प्रक्रिया सफल होती है। अंडा प्राप्तकर्ता इसकी मदद से एग डोनर के अंडे व उसकी फर्टिलिटी क्षमता को भी प्राप्त करती है।

यह है खतरा -
जिस दिन डोनर से अंडे लिए जाते हैं, उसी दिन प्राप्तकर्ता के पार्टनर से शुक्राणु के नमूने को जमा करने के लिए कहा जाता है। फिर एग और शक्राणुओं को लैब में फर्टिलाइज कराया जाता है। एग डोनेशन में एग प्राप्तकर्ता के ऐसे रोगों की चपेट में आने का खतरा होता है, जिनसे एग डोनर पीडि़त रही हो। हालांकि उसकी पूरी जांच की जाती है लेकिन एचआईवी जैसी समस्याएं भी कई बार पूरी तरह से पकड़ में नहीं आती हैं। साथ ही एक से अधिक भ्रूण प्रत्यारोपित हो जाएं तो कई गर्भ ठहर सकते हैं, यह स्थिति मां व बच्चों के लिए सही नहीं होती।

ये कर सकती हैं डोनेट -
21-35 साल की वे महिलाएं जिन्हें नियमित माहवारी होती हो और वे सिंगल रिलेशनशिप में हो, एग डोनेट कर सकती हैं। यदि एग डोनेशन करने वाली महिला के पहले से एक बच्चा है तो वह सबसे अच्छी डोनर होगी। लेकिन इन सभी के बावजूद एहतियात जरूरी होती है।



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If your children are too worried, do not worry - अगर आपके बच्चें काे भी हाेती है बाेलने में घबराहट ताे करें ये उपाय

February 03, 2019
If your children are too worried, do not worry

If your children are too worried, do not worry      

If your children are too worried, do not worry - सलेक्टिव म्यूटिज्म सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर है जो ज्यादातर बच्चों में होता है। इसमें बच्चा किसी विशेष परिस्थिति या अनजान लोगों के बीच बोल नहीं पाता। यह समस्या आमतौर पर 4-5 साल के बच्चों या स्कूल जाने के शुरुआती दिनों में ही नजर आ जाती है।

एंग्जाइटी डिसऑर्डर
ज्यादा शर्मीलापन, भीड़ या बाहरी लोगों से डर, सामाजिक एकाकीपन, सलेक्टिव म्यूटिज्म स्पीच डिसऑर्डर नहीं है। इसे बोलने से नकारना या बोलने का फोबिया (फोबिया ऑफ स्पीकिंग) कहा जा सकता है।

ये हैं लक्षण
यदि बच्चा या व्यक्ति घर में बहुत बोलता है, अकेले में घर वालों, माता-पिता से भी खुलकर बात करता है लेकिन स्कूल में, टीचर्स के साथ, दूसरे लोगों के साथ कुछ भी नहीं बोल पाता है तो यह म्यूटिज्म के लक्षण हो सकते हैं। अक्सर इसे लोग शर्म से संबंधित समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन जब सब कुछ आते हुए भी बच्चे की परफॉर्मेंस ठीक नहीं होती तो घरवाले परेशान हो जाते हैं। लगातार एक माह या उससे ज्यादा ऐसी परेशानी होने पर म्यूटिज्म संबंधी शिकायत हो सकती है।

बोलने में घबराए तो
यदि बच्चे या व्यक्ति में कोई भी शारीरिक समस्या नहीं है, फिर भी वह बोलने से घबराता है तो तुरंत मनोचिकित्सक से संपर्क करें। जरूरी है कि बच्चे या व्यक्ति की पुरानी मेडिकल रिपोर्ट उसके शैक्षिक मूल्यांकन के साथ इकट्ठी की जाएं। साथ ही हियरिंग स्क्रीनिंग, ओरल मोटर (जीभ, जबड़े व होंठों का तालमेल) जांचें, माता-पिता के इंटरव्यू, स्पीच व लैंग्वेज रिव्यू की रिपोर्ट भी शामिल की जाए।

उपचार व काउंसलिंग
इस रोग के इलाज में विभिन्न साइकोथैरेपी की तकनीकों को उपयोग में लिया जाता है। इसके लिए ना सिर्फ बच्चे या व्यक्ति बल्कि उसके पारिवारिक सदस्यों खासतौर पर माता-पिता की काउंसलिंग भी जरूरी होती है।



If your children are too worried, do not worry - अगर आपके बच्चें काे भी हाेती है बाेलने में घबराहट ताे करें ये उपाय If your children are too worried, do not worry - अगर आपके बच्चें काे भी हाेती है बाेलने में घबराहट ताे करें ये उपाय Reviewed by health on February 03, 2019 Rating: 5

Eat seasonal, orange, amla and increase blood faster - मौसमी, संतरा, आंवला खाएं अाैर तेजी से खून बढ़ाएं

February 03, 2019
Eat seasonal, orange, amla and increase blood faster

Eat seasonal, orange, amla and increase blood faster     

Eat seasonal, orange, amla and increase blood faster - कुपोषण महिलाओं में होने वाली आम समस्या है। लेकिन इस स्थिति में अगर मां बना जाए तो एनीमिया यानी रक्त की कमी हो सकती है। हमारे देश में आयरन की कमी से महिलाओं में होने वाला एनीमिया 50 प्रतिशत व गर्भवतियों में 80 प्रतिशत तक है।

लक्षण:
चलतेे या काम करते समय जल्दी थकना, सांस फूलना, सांस लेने में तकलीफ, सिरदर्द, बालों का गिरना, नाखून व त्वचा के रंग में परिवर्तन, भूख न लगना और चिड़चिड़ापन रहना।

कारण:
हरी पत्तेदार सब्जियां न खाना, किसी कारणवश शरीर से अधिक रक्तस्राव होना, खाने में कैल्शियम ज्यादा मात्रा में लेना, पर्याप्त मात्रा में आयरन और फॉलिक एसिड न लेना।

डाइट हो ऐसी
मौसमी, संतरा, आंवला आदि खाएं क्योंकि इनमें मौजूद विटामिन सी शरीर में आयरन को एब्जोर्ब करने का काम करता है। चाय, कॉफी और कोल्ड ड्रिंक आदि से दूर रहें क्योंकि इनसे आयरन की कमी होती है। इसमें उपस्थित टैनीन नामक पदार्थ शरीर द्वारा आयरन एब्जोर्ब करने में बाधा उत्पन्न करता है।



Eat seasonal, orange, amla and increase blood faster - मौसमी, संतरा, आंवला खाएं अाैर तेजी से खून बढ़ाएं Eat seasonal, orange, amla and increase blood faster - मौसमी, संतरा, आंवला खाएं अाैर तेजी से खून बढ़ाएं Reviewed by health on February 03, 2019 Rating: 5

Workout ke bad Aise Rakhein Khanpan, Hoga doguna Fayada - वर्कआउट के बाद एेसा रखें खानपान, हाेगा दाेगुना फायदा

February 03, 2019
Workout ke bad Aise Rakhein Khanpan, Hoga doguna Fayada

Workout ke bad Aise Rakhein Khanpan, Hoga doguna Fayada       

Workout ke bad Aise Rakhein Khanpan, Hoga doguna Fayada  - स्वस्थ शरीर के लिए वर्कआउट के साथ उचित खानपान भी जरूरी है। ज्यादातर लोग वर्कआउट के बाद लगने वाली भूख को कंट्रोल नहीं कर पाते और न चाहते हुए भी ओवरईटिंग कर लेते हैं। यहां कुछ ऐसे तरीके हैं जिनसे आप इस आदत पर काबू पा सकते हैं :-

जरूरी है कार्ब-प्रोटीन
अल्पाहार में ऐसी चीजें शामिल करें जिनमें कार्बोहाइड्रेट व प्रोटीन हो। मूंगफली, बटर या जैम सैंडविच स्वस्थ विकल्प हो सकते हैं। वर्कआउट के दौरान पसीने से निकलने वाले फ्लूड को पानी पीकर पूरा किया जा सकता है। वर्कआउट के बाद तुरंत कुछ खाने की बजाय 15-20 मिनट रुककर खाएं।

दूध है जरूरी
कुछ हल्का खाने की बजाय कम फैट वाला दूध पीना बेहतर है। प्रोटीन होने से आपको एनर्जी मिलेगी और वर्कआउट के बाद लगने वाली भूख भी कम होगी।

खाने से पहले वर्कआउट
वर्कआउट करने के तुरंत बाद भूख लगने पर ज्यादातर लोग फास्ट फूड पर टूट पड़ते हैं, जो हैल्थ के लिए सही नहीं रहता। ऐसे फूड से बचने के लिए अपने वर्कआउट के समय को थोड़ा बदल सकते हैं। वर्कआउट का समय खाना खाने के आसपास ही रखें ताकि एक्सरसाइज करने के 15-20 मिनट बाद आप सीधा खाना ही खा सकें।

एंजॉय करें
अगर आप वर्कआउट से बोर हो गए हैं तो एक्सरसाइज की एक नई फॉर्म अपनाएं ताकि बोरियत ना हो।

जल्दी न जाएं जिम
बच्चों को 16 साल की उम्र से पहले जिम नहीं जाना चाहिए। इससे पहले वे आउटडोर गेम्स खेलें। जल्दी जिम जाने व स्टेरॉयड्स लेने से दिमाग की नसों को नुकसान होता है। साथ ही हड्डियों की ग्रोथ प्लेट्स भारी वजन उठाने से नष्ट हो सकती हैं।



Workout ke bad Aise Rakhein Khanpan, Hoga doguna Fayada - वर्कआउट के बाद एेसा रखें खानपान, हाेगा दाेगुना फायदा Workout ke bad Aise Rakhein Khanpan, Hoga doguna Fayada - वर्कआउट के बाद एेसा रखें खानपान, हाेगा दाेगुना फायदा Reviewed by health on February 03, 2019 Rating: 5

Sardiyon Mein Aise Karein Buzurgon Ki Dekhbhal - सर्दियों में एेसे करें बुजुर्गों की देखभाल

February 03, 2019
Sardiyon Mein Aise Karein Buzurgon Ki Dekhbhal

Sardiyon Mein Aise Karein Buzurgon Ki Dekhbhal     

Sardiyon Mein Aise Karein Buzurgon Ki Dekhbhal उम्रदराज लोगों को सर्दियों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने का खतरा रहता है क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो चुकी होती है। दूसरा, इस मौसम में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है, जिससे सांस संबंधी परेशानियां बुजुर्गों को ज्यादा सताती हैं। आइए जानते हैं कुछ उपयोगी बातों के बारे में जिनसे वृद्धजन सर्दियों में सेहतमंद बने रह सकते हैं।

कार्डियोवस्क्यूलर रोग -
पारे में गिरावट का सीधा असर उम्रदराज लोगों के दिल और उसकी नसों पर पड़ता है। सर्दी के कारण ब्लड प्रेशर बढ़ता है और हार्ट अटैक व स्ट्रोक का खतरा भी अधिक हो जाता है। इस मौसम में हम पानी कम पीते हैं जिससे नसों में क्लॉट बनने लगते हैं और हृदयाघात हो सकता है।

चलने में तकलीफ -
आर्थराइटिस से पीड़ित वृद्धजनों को सर्दियों में सावधान रहना चाहिए। इस दौरान वृद्धों की शक्ति व फुर्ती घट जाती है। चलने-फिरने की क्षमता प्रभावित होने पर दुर्घटना और गिरने की आशंका बढ़ जाती है।

सांस संबंधी रोग -
वृद्धों के श्वसन तंत्र में संक्रमण होना आम है क्योंकि ज्यादा सर्दी उनकी प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देती है और फेफड़ों की कार्यप्रणाली को बिगाड़ देती है। वायरल संक्रमण या फ्लू उनकी सांस की बीमारियों को और भी बढ़ा देता है। ऐसे में उन्हें दमा व क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज में खास ख्याल रखना चाहिए।

त्वचा रोग -
सर्दियों में खुजली होना त्वचा की आम समस्या है, यह वृद्धों को ज्यादा होती है। सूखी और ठंडी हवाएं त्वचा पर बुरा असर डालती हैं। ठंड के ज्यादा संपर्क में आने से लगातार खुजली बनी रहती है और अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं।

मानसिक व सामाजिक बाधाएं -
सर्दियों में अकेले रहने से तनाव और अवसाद घेरने लगता है। इनका विपरीत प्रभाव बुजुर्गों में स्वास्थ्य समस्याओं के रूप में नजर आता है। इसलिए उम्रदराज लोगों को अकेला न रहने दें और खयाल रखें कि वे किसी न किसी एक्टिविटी में व्यस्त रहें।

व्यायाम से फिट रहें -
वॉक, योगा, एरोबिक्स जैसे हल्के व्यायाम वृद्धों के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। मॉर्निंग वॉक जरूर करें क्योंकि सुबह के समय वातावरण में प्रदूषण और ज्यादा शोर नहीं होता है।

विशेषज्ञ की राय -
सर्दी के दिनों में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं (जिन लोगों को ज्यादा तरल लेने की मनाही है, वे ऐसा न करें), गर्म भोजन करें, भीड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें, ज्यादा प्रदूषण के समय बाहर न निकलें, जंकफूड से परहेज करें, अगर कोई दवा ले रहे हैं तो उसे नियमानुसार लें और सफर में जाते समय भी अपने साथ लेकर जाएं, कम से कम 6-8 घंटे की नींद जरूर लें और मौसमी सब्जियों व फलों को डाइट में शामिल करें।

उचित खानपान -
बुजुर्गों को सर्दियों में पौष्टिक आहार लेना चाहिए। वसा युक्त और मसालेदार भोजन से परहेज करें। ऐसी चीजों से भी बचें जिनसे कफ बढ़ता है जैसे दुग्ध उत्पाद, केक, पेस्ट्री, मैदा व सफेद ब्रेड। घी-मक्खन का भी प्रयोग कम ही करें। अदरक वाली चाय व सब्जियों का सूप पी सकते हैं।



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Jaan Lein Bhojan Karne Ke In Niyamon Ke Bare Mein - जान लें भोजन करने के इन नियमों के बारे में

February 03, 2019
Jaan Lein Bhojan Karne Ke In Niyamon Ke Bare Mein

Jaan Lein Bhojan Karne Ke In Niyamon Ke Bare Mein     

Jaan Lein Bhojan Karne Ke In Niyamon Ke Bare Mein  - स्वस्थ रहने के लिए भोजन जरूरी है, लेकिन इसके भी कुछ नियम होते हैं। अगर संतुलित भोजन खुश होकर किया जाए तो शरीर को ज्यादा लाभ होता है।

ध्यान रहें ये बातें -
स्वच्छता भोजन का पहला नियम है। इसलिए खाना खाने से पहले हाथ, पैर और मुंह अच्छी तरह से धो लेने चाहिए। जिस स्थान पर भोजन करने के लिए बैठें, वह साफ होना चाहिए। भोजन हमेशा खुशनुमा माहौल में करें और खाते समय बातचीत न करें।

चबा-चबाकर खाएं -
भोजन करते समय प्रत्येक कोर को कम से कम 30 से 40 बार चबाएं। जब हम खाना ठीक से चबाते नहीं हैं तो दांतों का काम आंतों को करना पड़ता है और वे कमजोर हो जाती हैं। इसलिए भोजन चबाकर ही खाएं। भूख से थोड़ा कम खाएं और एक निश्चित समय पर खाना खा लें। खाने के बाद फौरन पानी न पिएं क्योंकि इस दौरान पेट में ऐसे रस बनते हैं जो खाने को पचाने का काम करते हैं। लेकिन जब हम पानी पी लेते हैं तो वे खाने के साथ घुल जाते हैं और भोजन ठीक से पच नहीं पाता। लगातार ऐसा करते रहने से कब्ज और अपच की समस्या रहने लगती है,इसलिए खाने के कम से कम आधा घंटा बाद ही पानी पीना चाहिए।

रेशेवाला आहार लें -
आदर्श भोजन वही है जिसमें सभी पोषक तत्त्वों का समावेश हो। भोजन में सलाद, अंकुरित अनाज और हरी सब्जियों को जरूर शामिल करें। ये फाइबर फूड शरीर में पाचन क्रिया को दुरुस्त बनाए रखते हैं। तले-भुने, बासी और मैदा युक्त चीजों से परहेज करें। भोजन के साथ या बाद में फौरन चाय और कॉफी न लें क्योंकि ये हमारी पाचन प्रक्रिया में बाधा पहुंचाती हैं। डाइट में फलों को भी शामिल करें। रस निकालने की प्रक्रिया के दौरान फलों में मौजूद फाइबर निकल जाता है इसलिए इनका रस पीने की बजाय उन्हें चबाकर खाएं।

दिन में खाएं दालें -
दालों का समूह गैस्ट्रिक होता है इसलिए रात के समय इन्हें खाने से इनके पोषक तत्व शरीर में ठीक से एब्जॉर्ब नहीं हो पाते। अगर आप शाम को जल्दी खाना खा लेते हैं तो डिनर में दाल ले सकते हैं वर्ना इन्हें दिन के समय ही खाएं। दाल में अमिनो एसिड नहीं होता है इसलिए सिर्फ दाल ना खाकर दाल-चावल या खिचड़ी के रूप में खाएं। खाना बनाने से पहले सब्जियों और दालों को अच्छी तरह से धोना चाहिए। शेष बचे हुए खाने को ढंककर ही फ्रिज में रखें। ज्यादा देर तक भोजन को पकाएं नहीं, इससे उसमें मौजूद पोषक तत्वों की मात्रा कम हो जाती है।



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For many reasons abdominal pain, know about it - कई कारणों से होता है पेटदर्द, जानें इसके बारे में

February 03, 2019
For many reasons abdominal pain, know about it

For many reasons abdominal pain, know about it      

For many reasons abdominal pain, know about it - अपच, एसिडिटी, बच्चों के पेट में कीड़े, किडनी में पथरी, अल्सर और कई मामलों में अपेंडिक्स की वजह से पेटदर्द हो सकता है। बच्चों, बुजुर्गों और वयस्कों को अलग-अलग कारणों से इस दर्द की शिकायत हो सकती है। आइए जानते हैं उनके बारे में।

बच्चों के लिए -
दूध न पचने, पेट न भरने, पेट साफ न होने, संक्रमण या कीड़े होने, जंकफूड और तला-भुना भोजन ज्यादा खाने से बच्चों को पेटदर्द की समस्या हो सकती है।

वृद्धों की तकलीफ -
बुजुर्गों को कब्ज और यूरिन इंफेक्शन की वजह से पेटदर्द हो सकता है। कई बार ज्यादा तला-भुना खाने से भी तकलीफ हो सकती है।

जब वयस्क हों परेशान -
ऐसे लोग जिन्हें बचपन से ही कब्ज की शिकायत रही हो, उन्हें आगे चलकर पेट संबंधी समस्याएं जैसे दर्द, अपच, मरोड़, एसिडिटी की तकलीफ रहने लगती है।

एहतियात जरूरी -
यूरिन इंफेक्शन की शिकायत होने पर दिन में 3-4 लीटर पानी पिएं और पेशाब को रोककर न रखें। तनाव कम लें और बच्चों को घर का बना हुआ खाना ही दें। व्रत या उपवास करने पर फलाहार करें, कई बार खाली पेट रहने से भी पेटदर्द हो सकता है।

लक्षणों के अनुसार इलाज -
पेट में भारीपन लगने पर पल्सेटिला दवा देते हैं। खट्टी डकारों में लाइकोपोडियम, खाली पेट एसिडिटी बनने पर एनाकार्डियम दवा या खाने के दुष्प्रभाव से दर्द होने पर नक्सवोमिका दी जाती है। पेट में कीड़े होने पर सिना व पथरी के दर्द में लाइकोपोडियम, बरबरिफ वल्गेरिस व सारसापरिला दवाएं दी जाती है। अपेंडिक्स में इच्निशिया, आइरिश टेनक्स देते हैं। इन दवाओं को विशेषज्ञ मरीज के लक्षणों के अनुसार देते हैं इसलिए इनका प्रयोग स्वयं न करें।



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Doodh Se Payei Khili Khili Taucha - दूध से पाएं खिली-खिली त्वचा

February 02, 2019
Doodh Se Payei Khili Khili Taucha

Doodh Se Payei Khili Khili Taucha     

Doodh Se Payei Khili Khili Taucha  - पाेषक तत्वाें से भरपूर दूध केवल सेहत ही नहीं बनाता बल्कि चेहरे की सुंदरता बढ़ाने में भी जबरदस्त काम करता है। दूध का उपयाेग कर कुछ घेरेलू टिप्स से आप कुछ ही मिनटाें में खूबसूरत, चमकदार आैर मुलायम त्वचा पा सकते हैं। आइए जानते हैं दूध से कैसे बढ़ाएं चेहरे का निखार :-

- गुलाब की पखुंडियों को पीसकर आधा ग्लास कच्चे दूध में 30 मिनट तक भिगोएं, फिर इस पेस्ट को धीरे-धीरे पूरे चेहरे पर लगाएं। थोड़ी देर बाद इसे हल्के हाथ से मलें , सूखने पर ठंडे पानी से धुल दें, त्वचा गुलाबी और नर्म हो जाएगी।

- त्वचा को साफ करने के लिए दूध एक बेहतरीन क्लींजर है। कच्चे दूध में कॉटन का एक टुकड़ा डुबोएं और इससे चेहरे को साफ करें। उसके बाद साफ पानी से चेहरे को धो लें। अगर आप हर रोज कच्चे दूध से अपना चेहरा साफ करेंगी तो आपकी त्वचा खिल उठेगी।

- ड्राई त्‍वचा के लिए हर रोज दो चम्मच दूध की मलाई में एक चम्मच शहद मिलाकर अपनी त्वचा पर लगाएं। इससे त्वचा की खुश्की खथ्म होगी और आपकी त्वचा ग्लो करने लगेगी।

- दूध से भी आप डबल चिन की समस्या निजात पा सकती हैं। इसे टोनर के रूप में लगाएं। दूध से चिन की मसाज करें और चेहरे को गुनगुने पानी से साफ कर लें।

- दूध और शहद का फेस मास्क भी कारगर उपाय है। इस फेस मास्क को 10 मिनट तक चेहरे पर लगाने के बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो लें। इससे डबल चिन कम होगी। इसी तरह दो अंडे के सफेद वाले हिस्से में एक चम्मच दूध, थोड़ा-सा पिपरमिंट एसेंशियल ऑयल, एक चम्मच शहद और एक चम्मच नींबू का रस डालकर मिलाएं। नियमित रूप से यह फेस मास्क लगाने से भी डबल चिन समस्या से छुटकारा मिलेगा।



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Unborn baby does not have cerebral palsy, do it like this - गर्भस्थ शिशु काे ना हाे सेरेब्रल पैल्सी, इस तरह से करें बचाव

February 02, 2019
Unborn baby does not have cerebral palsy, do it like this

Unborn baby does not have cerebral palsy, do it like this        

Unborn baby does not have cerebral palsy, do it like this - भारत में सेरेब्रल पैल्सी (मस्तिष्क पक्षाघात) के 14 में से 13 मामले गर्भ में या जन्म के बाद पहले महीने के दौरान विकसित होते हैं। आमतौर पर सेरेब्रल पैल्सी को जन्मजात कहा गया है, ऐसे में विशेषज्ञों की सलाह है कि किसी भी मां को गर्भधारण के साथ ही अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए।
विशेषज्ञाें के मुताबिक, वास्तव में गर्भावस्था के पहले दिन से लेकर अंत तक मां और बच्चा साथ बढ़ते हैं साथ सोते हैं और साथ खाते हैं। यह वह दौर है जब मां को कई तरह के तनाव और दर्द से गुजरना पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान ऐसे कई लक्षण हैं जो विकसित हो रहे शिशु के मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकते हैं और आगे चल कर मस्तिष्क पक्षाघात यानी सेरेब्रल पैल्सी का कारण बन सकते हैं।
थायरॉयड विकार, सीजर, चिकनपॉक्स, रूबेला, साइटोमेगालोवायरस जैसे संक्रमण या वायरस, मल्टीपल बर्थ, बांझपन के उपचार के लिए असिस्टिव रीप्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी जैसे कुछ प्रमुख कारण हैं जो बच्चों में सेरेब्रल पैल्सी का कारण बनते हैं।

कितने प्रकार की हाेती है सेरेब्रल पैल्सी
- इसका पहला प्रकार स्पास्टिक सेरेब्रल पैल्सी का है, जिसमें प्रमस्तिष्क पक्षाघात का सबसे आम रूप में देखा जाता है। सभी मामलों में से लगभग 70-80 फीसदी मामले इसी से प्रभावित होते हैं। सेरेब्रल पैल्सी मांसपेशियों के समूहों को प्रभावित करता है और विकार पैदा कर सकता है। स्पास्टिक सेरेब्रल की स्थिति में मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है, जो जन्म से पहले या जन्म के दौरान या बच्चे के जीवन के शुरूआती वर्षों में होती है। बच्चे के एक साल का होते-होते इसकी पहचान स्पष्ट हो जाती है क्योंकि लक्षण साफ तौर पर दिखने लगते हैं।
- दूसरा प्रकार है डिस्किनेटिक सेरेब्रल पैल्सी। इसमें में मस्तिष्क के उस हिस्से को नुकसान पहुंचता है, जिसे बेसल गैन्ग्लिया कहा जाता है। यह स्वैच्छिक गतिविधियों को विनियमित करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। मस्तिष्क के अन्य क्षेत्रों के साथ बेसल गैंग्लिया के कनेक्शन के चलते यह भावनाए मनोदशा और व्यवहार पर भी नियंत्रण करता है।

- इसका तीसरा प्रकार मिक्स्ड सेरेब्रल पैल्सी है। कई सेरेब्रल पैल्सी रोगियों में किसी एक तरह की सेरेब्रल पैल्सी के लक्षण नहीं होते हैं। इन रोगियों को मिक्सड सेरेब्रल पैल्सी से ग्रस्त माना जाता है। उनमें सामान्य से लेकर स्पास्टिक, एटेटोइड और अटैक्सिक सेरेब्रल पैल्सी के मिश्रित लक्षण दिखते हैं। मिक्सड सेरेब्रल पैल्सी, वास्तव में सेरेब्रल पैल्सी का एक प्रकार है जो तीन अन्य सेरेब्रल पैल्सी के लक्षण लिए होती है। सेरेब्रल पैल्सी वाले सभी रोगियों में लगभग दस फीसदी रोगी ऐसे होते हैं। इस प्रकार में सेरेब्रल पैल्सी के कम से कम दो रूपों का संयोजन है। मिक्सड सेरेब्रल पैल्सी मस्तिष्क को पहुंचे नुकसान के कारण होती है।
- इसके बाद अटैक्सिक सेरेब्रल पैल्सी का स्थान है। इससे पीडि़त बच्चे की गतिविधी में जकड़न या अस्थिरता होती है। ठीक से बैठ या चल नहीं पाता और झटके से महसूस होते हैं।

क्या हैं कारणगर्भावस्था के दौरान सेरेब्रल पैल्सी के लिए कई कारण हो सकते हैं। इनमें गर्भावस्था में चोट, हार्मोनल परिवर्तन, गर्भावस्था के दौरान संक्रमण, रक्त संबंधी रोग, बांझपन उपचार, जन्म के समय कम वजन, मस्तिष्क को चोट लगना, समय से पहले जन्म, ब्रेन डैमेज, जन्म में जटिलताएं शामिल हैं।

बरते ये सावधानियां
सेरेब्रल पैल्सी बचने के लिए गर्भवती महिला काे हाथ साफ रखना, प्रसव पूर्व नियमित देखभाल करना, डॉक्टर से नियमित चेकअप करवाना, खुद को फ्लू से बचाना, डॉक्टर के साथ ब्लड कम्पेटिबिलटी पर चर्चा करना, रूबेला से खुद को बचाना, जीवनशैली को नियंत्रित करना, समय पर टीकाकरण करवाना, मल्टीपल बर्थ के जोखिमों के बारे में जागरूक रहना शामिल हैं।



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Dhoop Mein Malish Karne Se Haddiyan Hongi Majboot - धूप में मालिश करने से हड्डियां होंगी मजबूत

February 02, 2019
Dhoop Mein Malish Karne Se Haddiyan Hongi Majboot

Dhoop Mein Malish Karne Se Haddiyan Hongi Majboot     

Dhoop Mein Malish Karne Se Haddiyan Hongi Majboot - मालिश का आयुर्वेद में विशेष महत्व है। इसे आयुर्वेद में अभ्यंग कहते हैं। अभ्यंग स्वस्थ एवं रोग, दोनों ही अवस्थाओं में उपयोगी माना गया है।

आयुर्वेद में स्नान से पहले नियमित रूप से मालिश की सलाह दी जाती है। इसके लिए ऋतु एवं रोग के अनुसार सरसों, नारियल, बादाम व जैतून तेल आदि का प्रयोग किया जाता है। सर्दियों में सरसों व नारियल तेल से मालिश करने पर रक्तसंचार में सुधार, हड्डियां व मांसपेशियां मजबूत होती हैं। धूप में बैठकर मालिश करने से विटामिन डी मिलता है, जिससे हड्डियां मजबूत व लचीली होती हैं।
मालिश के फौरन बाद न नहाकर 10 मिनट बाद स्नान करें।

सिरोभ्यंग व पांदाभ्यंग -
सिरोभ्यंग (सिर की मालिश) : इससे तनाव दूर होता है। सिर कंधों और गर्दन के दर्द में राहत और नींद अच्छी आती है। पांदाभ्यंग (पैरों की मालिश): इससे आंखों की ज्योति बढ़ती है और पैरों में मजबूत आती है। अनिद्रा, माइग्रेन, गठिया, तनाव आदि रोगों में चंदन, महाविषगर्भ और महानारायण तेल से मालिश कर सकते हैं।



Dhoop Mein Malish Karne Se Haddiyan Hongi Majboot - धूप में मालिश करने से हड्डियां होंगी मजबूत Dhoop Mein Malish Karne Se Haddiyan Hongi Majboot - धूप में मालिश करने से हड्डियां होंगी मजबूत Reviewed by health on February 02, 2019 Rating: 5

Chusti aur taakat ka khajana hai pind khajoor, Aise khaein - चुस्ती आैर ताकत का खजाना है पिंड खजूर, एेसे खाएं

February 02, 2019

Chusti aur taakat ka khajana hai pind khajoor, Aise khaein

Chusti aur taakat ka khajana hai pind khajoor, Aise khaein     

Chusti aur taakat ka khajana hai pind khajoor, Aise khaein  - सर्दियों में पिंड खजूर शरीर को तुरंत शक्ति-स्फूर्ति देता है। यह हृदय व मस्तिष्क को शक्ति देने के साथ-साथ वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को दूर करता है।इसमें कार्बोहाईड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम और फॉस्फोरस आदि प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।आइए जानते हैं पिंड खजूर के फायदे :-
- दुबले लोगों को वजन बढ़ाने के लिए खजूर के साथ दूध पीना चाहिए।

- रात के समय खजूर भिगोकर सुबह दूध या घी के साथ खाने से मस्तिष्क व हृदय की मांसपेशियों को ताकत मिलती है। रक्त की कमी से धड़कनों की अनियमितता व एकाग्रता की कमी में खजूर लाभदायी होता है।

- दमे की शिकायत है तो 2 खजूर सुबह-शाम चबाकर खाएं। इससे कफ और सर्दी दूर होती है।
- पिंड खजूर खाने से पेशाब के रोग भी दूर होते हैं। बुढ़ापे में पेशाब बार-बार आए तो दिन में दो खजूर खाने से लाभ होगा।

- बच्चा बिस्तर पर पेशाब करे तो उसे रात को छुहारे या पिंड खजूर वाला दूध पिलाने से फायदा होता है।
- भूख बढ़ाने के लिए इसका गूदा निकालकर दूध में पकाएं। ठंडा करके पीस लें। यह दूध बहुत पौष्टिक होता है। इससे भूख बढ़ती है और खाना भी पच जाता है।
- 100 ग्राम से अधिक खजूर नहीं खाने चाहिए। इससे पाचनशक्ति गड़बड़ा सकती है।



Chusti aur taakat ka khajana hai pind khajoor, Aise khaein - चुस्ती आैर ताकत का खजाना है पिंड खजूर, एेसे खाएं Chusti aur taakat ka khajana hai pind khajoor, Aise khaein - चुस्ती आैर ताकत का खजाना है पिंड खजूर, एेसे खाएं Reviewed by health on February 02, 2019 Rating: 5
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