Egg Donation Karne Mein Rakhye Ye Saudhaniya |
यह है प्रक्रिया -
एग डोनेशन एक सुरक्षित प्रक्रिया है। जिसमें कुछ ब्लड टेस्ट के बाद डोनर द्वारा दिए गए अंडे को बायोलॉजिकल पिता के शुक्राणुओं के साथ लैब में फर्टिलाइज कराया जाता है। फिर विकसित होने वाले भ्रूण को लैब डिश में विकसित कर मां के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इस तरह पैदा हुए बच्चों में कुछ अंश डोनर के भी देखने को मिलते हैं।
एग डोनेशन एक सुरक्षित प्रक्रिया है। जिसमें कुछ ब्लड टेस्ट के बाद डोनर द्वारा दिए गए अंडे को बायोलॉजिकल पिता के शुक्राणुओं के साथ लैब में फर्टिलाइज कराया जाता है। फिर विकसित होने वाले भ्रूण को लैब डिश में विकसित कर मां के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इस तरह पैदा हुए बच्चों में कुछ अंश डोनर के भी देखने को मिलते हैं।
कम उम्र में एग डोनेशन -
कम उम्र में एग डोनेशन से इंफेक्शन का खतरा रहता है, पेट के अंदरुनी भाग में रक्तस्राव से सर्जरी करानी पड़ सकती है। यूट्रस और ओवरी में संक्रमण होने पर प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। गर्भधारण के लिए दवा ले रहीं हों तो अधिक मेडिसिन खाने से ओवेरियन कैंसर का खतरा भी हो सकता है।
कम उम्र में एग डोनेशन से इंफेक्शन का खतरा रहता है, पेट के अंदरुनी भाग में रक्तस्राव से सर्जरी करानी पड़ सकती है। यूट्रस और ओवरी में संक्रमण होने पर प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। गर्भधारण के लिए दवा ले रहीं हों तो अधिक मेडिसिन खाने से ओवेरियन कैंसर का खतरा भी हो सकता है।
आईवीएफ के लाभ -
इसकी सफलता के आसार उन मामलों में अधिक होते हैं, जहां नॉन डोनर एग के साथ आईवीएफ कराया जाता है। इसमें डोनर की उम्र व अंडे की गुणवत्ता अच्छी होने से आईवीएफ प्रक्रिया सफल होती है। अंडा प्राप्तकर्ता इसकी मदद से एग डोनर के अंडे व उसकी फर्टिलिटी क्षमता को भी प्राप्त करती है।
इसकी सफलता के आसार उन मामलों में अधिक होते हैं, जहां नॉन डोनर एग के साथ आईवीएफ कराया जाता है। इसमें डोनर की उम्र व अंडे की गुणवत्ता अच्छी होने से आईवीएफ प्रक्रिया सफल होती है। अंडा प्राप्तकर्ता इसकी मदद से एग डोनर के अंडे व उसकी फर्टिलिटी क्षमता को भी प्राप्त करती है।
यह है खतरा -
जिस दिन डोनर से अंडे लिए जाते हैं, उसी दिन प्राप्तकर्ता के पार्टनर से शुक्राणु के नमूने को जमा करने के लिए कहा जाता है। फिर एग और शक्राणुओं को लैब में फर्टिलाइज कराया जाता है। एग डोनेशन में एग प्राप्तकर्ता के ऐसे रोगों की चपेट में आने का खतरा होता है, जिनसे एग डोनर पीडि़त रही हो। हालांकि उसकी पूरी जांच की जाती है लेकिन एचआईवी जैसी समस्याएं भी कई बार पूरी तरह से पकड़ में नहीं आती हैं। साथ ही एक से अधिक भ्रूण प्रत्यारोपित हो जाएं तो कई गर्भ ठहर सकते हैं, यह स्थिति मां व बच्चों के लिए सही नहीं होती।
जिस दिन डोनर से अंडे लिए जाते हैं, उसी दिन प्राप्तकर्ता के पार्टनर से शुक्राणु के नमूने को जमा करने के लिए कहा जाता है। फिर एग और शक्राणुओं को लैब में फर्टिलाइज कराया जाता है। एग डोनेशन में एग प्राप्तकर्ता के ऐसे रोगों की चपेट में आने का खतरा होता है, जिनसे एग डोनर पीडि़त रही हो। हालांकि उसकी पूरी जांच की जाती है लेकिन एचआईवी जैसी समस्याएं भी कई बार पूरी तरह से पकड़ में नहीं आती हैं। साथ ही एक से अधिक भ्रूण प्रत्यारोपित हो जाएं तो कई गर्भ ठहर सकते हैं, यह स्थिति मां व बच्चों के लिए सही नहीं होती।
ये कर सकती हैं डोनेट -
21-35 साल की वे महिलाएं जिन्हें नियमित माहवारी होती हो और वे सिंगल रिलेशनशिप में हो, एग डोनेट कर सकती हैं। यदि एग डोनेशन करने वाली महिला के पहले से एक बच्चा है तो वह सबसे अच्छी डोनर होगी। लेकिन इन सभी के बावजूद एहतियात जरूरी होती है।
21-35 साल की वे महिलाएं जिन्हें नियमित माहवारी होती हो और वे सिंगल रिलेशनशिप में हो, एग डोनेट कर सकती हैं। यदि एग डोनेशन करने वाली महिला के पहले से एक बच्चा है तो वह सबसे अच्छी डोनर होगी। लेकिन इन सभी के बावजूद एहतियात जरूरी होती है।
Egg Donation Karne Mein Rakhye Ye Saudhaniya - एग डोनेशन करने में रखिए ये सावधानियां
Reviewed by health
on
February 03, 2019
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