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Jivan Mein Khushiyan Lane Ke Liye Khas Tips |
Jivan Mein Khushiyan Lane Ke Liye Khas Tips - खुश रहने के लिए अच्छी सेहत होना जरूरी है। विज्ञान और वैज्ञानिक शोध लगातार इस दिशा में खोज कर रहे हैं कि ऐसे क्या तरीके हों जिनसे खुश रहा जा सके। इसी खोज में जो तथ्य सामने आए हैं वे बुनियादी हैं, जिन्हें हम सब जानते हैं लेकिन अपनी सुविधा और लापरवाही से भुला देते हैं। हम बदल सकते हैं, बस जरूरत है मन बनाने की, सक्रिय बनने की और थोड़ा त्याग करने की।
हंसने-मुस्कुराने की आदत -
याद है अंतिम बार आप कब मुस्कुराए थे? नहीं तो थोड़ा हंसने की आदत बनाइए। इससे आपके चेहरे की ही नहीं मन और मस्तिष्क की भी मसाज हो जाएगी। विज्ञान के अनुसार जब हम मुस्कुराते हैं तो शरीर से 'एंडॉर्फिन' हार्मोन का स्राव होता है, जिससे तनाव में कमी आती है और दिमाग शांत होता है। जरूरी है कि आप मुस्कुराहट को हंसी में बदलने के मौके खोजें और सबको हंसाएं। एक मासूम बच्चा दिनभर में 300 बार हंसता है लेकिन समझदार लोग मुश्किल से मात्र पांच बार। एक सर्वे के अनुसार यदि आप दिनभर में कम से कम 7 मिनट खुलकर हंसते-मुस्कुराते हैं तो एंडॉर्फिन हार्मोन अच्छी तरह स्रावित होता है और सकारात्मक सोच विकसित होने पर व्यक्ति अपनी समस्याओं का हल आसानी से निकाल लेता है।
याद है अंतिम बार आप कब मुस्कुराए थे? नहीं तो थोड़ा हंसने की आदत बनाइए। इससे आपके चेहरे की ही नहीं मन और मस्तिष्क की भी मसाज हो जाएगी। विज्ञान के अनुसार जब हम मुस्कुराते हैं तो शरीर से 'एंडॉर्फिन' हार्मोन का स्राव होता है, जिससे तनाव में कमी आती है और दिमाग शांत होता है। जरूरी है कि आप मुस्कुराहट को हंसी में बदलने के मौके खोजें और सबको हंसाएं। एक मासूम बच्चा दिनभर में 300 बार हंसता है लेकिन समझदार लोग मुश्किल से मात्र पांच बार। एक सर्वे के अनुसार यदि आप दिनभर में कम से कम 7 मिनट खुलकर हंसते-मुस्कुराते हैं तो एंडॉर्फिन हार्मोन अच्छी तरह स्रावित होता है और सकारात्मक सोच विकसित होने पर व्यक्ति अपनी समस्याओं का हल आसानी से निकाल लेता है।
दूसरों की मदद करें -
कुछ लोग दूसरों की मदद को हमेशा तैयार होते हैं और दिलचस्प है कि मदद न करने वालों की तुलना में वे लोग ज्यादा सफल, व्यवस्थित और खुश होते हैं। सप्ताह में मात्र दो घंटे किसी भी तरह की मदद करना आपको खुश रखने में मदद करता है। इसके पीछे भी हमारे मस्तिष्क की 'ऑटो बॉयोग्राफिक्ल मैमोरी' होती है। साइकोलॉजिस्ट इसे 'बायस्टैंडर इफेक्ट' कहते हैं। शोध बताते हैं कि मदद करना या दर्शक बनकर खड़े रहना व्यक्ति विशेष के स्वभाव पर भी निर्भर करता है। उसका स्वभाव उन्हीं अनुभवों या 'ऑटो बॉयोग्राफिक्ल मैमोरी' से बनता है जो उसकी अपनी होती हैं।
कुछ लोग दूसरों की मदद को हमेशा तैयार होते हैं और दिलचस्प है कि मदद न करने वालों की तुलना में वे लोग ज्यादा सफल, व्यवस्थित और खुश होते हैं। सप्ताह में मात्र दो घंटे किसी भी तरह की मदद करना आपको खुश रखने में मदद करता है। इसके पीछे भी हमारे मस्तिष्क की 'ऑटो बॉयोग्राफिक्ल मैमोरी' होती है। साइकोलॉजिस्ट इसे 'बायस्टैंडर इफेक्ट' कहते हैं। शोध बताते हैं कि मदद करना या दर्शक बनकर खड़े रहना व्यक्ति विशेष के स्वभाव पर भी निर्भर करता है। उसका स्वभाव उन्हीं अनुभवों या 'ऑटो बॉयोग्राफिक्ल मैमोरी' से बनता है जो उसकी अपनी होती हैं।
पूरी नींद जरूरी -
अगर आपको खुश रहना है तो पर्याप्त नींद लें। नींद पूरी न होने पर आप पूरे दिन थके, परेशान और चिड़चिड़े रहते हैं। साथ ही किसी भी काम में आपका मन नहीं लगता। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि नींद में दिमाग की सफाई होती है। ऐसा न होने पर वह ठीक से काम करना बंद कर देता है। नींद न आने की समस्या हो तो सोने से पहले कोई अच्छी किताब, मैग्जीन या अखबार पढ़ें। कम्प्यूटर, लैपटॉप या फोन से जुड़े न रहें। देर रात तक टीवी न देखें। चाय या कॉफी न पिएं।
अगर आपको खुश रहना है तो पर्याप्त नींद लें। नींद पूरी न होने पर आप पूरे दिन थके, परेशान और चिड़चिड़े रहते हैं। साथ ही किसी भी काम में आपका मन नहीं लगता। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि नींद में दिमाग की सफाई होती है। ऐसा न होने पर वह ठीक से काम करना बंद कर देता है। नींद न आने की समस्या हो तो सोने से पहले कोई अच्छी किताब, मैग्जीन या अखबार पढ़ें। कम्प्यूटर, लैपटॉप या फोन से जुड़े न रहें। देर रात तक टीवी न देखें। चाय या कॉफी न पिएं।
एक्सरसाइज करें रोजाना -
यदि आपको फिट रहना है तो कम से कम एक घंटा व्यायाम जरूर करें। किसी भी तरह की एक्सरसाइज, व्यायाम, योग, प्राणायाम किया जा सकता है। डांस करना एकमात्र ऐसी एक्सरसाइज है जो बुढ़ापे में डिमेंशिया या भुलक्कड़पन को दूर रखती है। एक्सरसाइज मस्तिष्क के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से 'हिप्पोकैंपस' के आकार को दो प्रतिशत तक बढ़ा देती है। यह वह हिस्सा है जो प्रेरणा लेने और याददाश्त के लिए जिम्मेदार होता है। सप्ताह में तीन दिन रोजाना 30 मिनट दौड़ने से निर्णय लेने की क्षमता सुधरती है और एकाग्रता क्षमता बढ़ती है। जो वृद्ध लोग भारी व्यायाम नहीं कर सकते, वे आधे घंटे की वॉक कर सकते हैं। महिलाएं घर के कामों जैसे पोछा लगाना या हाथ से कपड़े धोकर भी सेहत बना सकती हैं।
यदि आपको फिट रहना है तो कम से कम एक घंटा व्यायाम जरूर करें। किसी भी तरह की एक्सरसाइज, व्यायाम, योग, प्राणायाम किया जा सकता है। डांस करना एकमात्र ऐसी एक्सरसाइज है जो बुढ़ापे में डिमेंशिया या भुलक्कड़पन को दूर रखती है। एक्सरसाइज मस्तिष्क के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से 'हिप्पोकैंपस' के आकार को दो प्रतिशत तक बढ़ा देती है। यह वह हिस्सा है जो प्रेरणा लेने और याददाश्त के लिए जिम्मेदार होता है। सप्ताह में तीन दिन रोजाना 30 मिनट दौड़ने से निर्णय लेने की क्षमता सुधरती है और एकाग्रता क्षमता बढ़ती है। जो वृद्ध लोग भारी व्यायाम नहीं कर सकते, वे आधे घंटे की वॉक कर सकते हैं। महिलाएं घर के कामों जैसे पोछा लगाना या हाथ से कपड़े धोकर भी सेहत बना सकती हैं।
अपने काम के साथ जुड़े -
आ ज के दौर में सबसे ज्यादा जरूरी है कि पेशे के तौर पर आप जो भी कर रहे हैं, उसके साथ गहराई से जुड़ें। अपने काम को मजबूरी न समझें। आप चाहें कहीं भी काम करें, कितना भी पैसा कमाएं लेकिन असली खुशी तभी मिलती है जब आपको लगे कि आपको अगले दिन भी उस काम को करने में मजा आएगा। काम के दौरान कुछ समझ न आने या कोई गड़बड़ी होने पर अपने साथियों या वरिष्ठों की मदद लेने में हिचकिचाएं नहीं। इससे आपकी समस्या तो सुलझेगी ही, दोनों के बीच आपसी समन्वय भी स्थापित होगा।
आ ज के दौर में सबसे ज्यादा जरूरी है कि पेशे के तौर पर आप जो भी कर रहे हैं, उसके साथ गहराई से जुड़ें। अपने काम को मजबूरी न समझें। आप चाहें कहीं भी काम करें, कितना भी पैसा कमाएं लेकिन असली खुशी तभी मिलती है जब आपको लगे कि आपको अगले दिन भी उस काम को करने में मजा आएगा। काम के दौरान कुछ समझ न आने या कोई गड़बड़ी होने पर अपने साथियों या वरिष्ठों की मदद लेने में हिचकिचाएं नहीं। इससे आपकी समस्या तो सुलझेगी ही, दोनों के बीच आपसी समन्वय भी स्थापित होगा।
ध्यान करें -
अपने दिमाग को व्यवस्थित करने के लिए ध्यान सबसे अच्छे उपायों में से एक है। विशेषज्ञों के मुताबिक जब आप ध्यान में जाते हैं तो दिमाग से कचरे की सफाई हो जाती है और नए विचारों को आने के लिए जगह मिलती है। मौन रहकर 10 मिनट ध्यान करने से इम्युनिटी बढ़ती है और हमारी जेनेटिक संरचना में प्रभावी बदलाव होते हैं। अगर आप अवसाद या तनाव का सामना कर रहे हैं तो रोजाना ध्यान जरूर करें।
अपने दिमाग को व्यवस्थित करने के लिए ध्यान सबसे अच्छे उपायों में से एक है। विशेषज्ञों के मुताबिक जब आप ध्यान में जाते हैं तो दिमाग से कचरे की सफाई हो जाती है और नए विचारों को आने के लिए जगह मिलती है। मौन रहकर 10 मिनट ध्यान करने से इम्युनिटी बढ़ती है और हमारी जेनेटिक संरचना में प्रभावी बदलाव होते हैं। अगर आप अवसाद या तनाव का सामना कर रहे हैं तो रोजाना ध्यान जरूर करें।
कहीं घूमने जाएं -
चाहे सुनियोजित हो या अचानक, कहीं घूमने जाना अपने स्वयं के बुने जंजाल से बाहर निकलकर मन को खुश करने की बड़ी वजह देता है। मनोचिकित्सक कैली ब्राउन के अनुसार जब आप यात्री होते हैं तो आप कुछ तलाश रहे होते हैं। इससे एकाग्रता में वृद्धि होती है और जब आपको खोजी जा रही वस्तु मिल जाती है तो आत्मविश्वास और सकारात्मकता बढ़ती है। यात्रा से लौटने पर लोगों में नई ऊर्जा आती है और व्यक्ति स्पष्ट तौर पर सोच पाता है।
चाहे सुनियोजित हो या अचानक, कहीं घूमने जाना अपने स्वयं के बुने जंजाल से बाहर निकलकर मन को खुश करने की बड़ी वजह देता है। मनोचिकित्सक कैली ब्राउन के अनुसार जब आप यात्री होते हैं तो आप कुछ तलाश रहे होते हैं। इससे एकाग्रता में वृद्धि होती है और जब आपको खोजी जा रही वस्तु मिल जाती है तो आत्मविश्वास और सकारात्मकता बढ़ती है। यात्रा से लौटने पर लोगों में नई ऊर्जा आती है और व्यक्ति स्पष्ट तौर पर सोच पाता है।
कुर्सी से चिपके न रहें -
यदि आपका काम बैठकर किए जाने वाला है तो कम से कम 4 ब्रेक जरूर लें। हर घंटे में कम से कम एक बार अपनी सीट से उठें और थोड़ा टहल आएं, लोगों से थोड़ा मिलजुल लें, आंखों को धो लें और बॉडी को स्ट्रेच करें। इससे पीठ और गर्दन के दर्द को नियंत्रित करने में मदद मिलती है और अनावश्यक थकान भी नहीं होती। रोजाना 6 घंटे बैठे रहने से आने वाले 15 वर्षों में असमय मौत का खतरा 40 प्रतिशत बढ़ जाता है।
यदि आपका काम बैठकर किए जाने वाला है तो कम से कम 4 ब्रेक जरूर लें। हर घंटे में कम से कम एक बार अपनी सीट से उठें और थोड़ा टहल आएं, लोगों से थोड़ा मिलजुल लें, आंखों को धो लें और बॉडी को स्ट्रेच करें। इससे पीठ और गर्दन के दर्द को नियंत्रित करने में मदद मिलती है और अनावश्यक थकान भी नहीं होती। रोजाना 6 घंटे बैठे रहने से आने वाले 15 वर्षों में असमय मौत का खतरा 40 प्रतिशत बढ़ जाता है।
परिवार के साथ वक्त गुजारें -
अपने काम के प्रति जिम्मेदार होना अच्छी बात है लेकिन इसके लिए अपने करीबियों से दूरी मत जाइए। कम से कम दिनभर में एक बार का खाना अपने परिवार या दोस्तों के साथ खाएं। जब हम अपने परिवार के प्रति स्नेह दर्शाते हैं तो रक्त में ऑक्सीटोसिन हार्माेन प्रवाहित होने लगता है जिससे ब्लड प्रेशर और तनाव कम होता है व याददाश्त बढ़ती है। घर के लोगों के साथ समय बिताने से आप खुश रहते हैं और आपको पॉजिटिव एनर्जी मिलती है।
अपने काम के प्रति जिम्मेदार होना अच्छी बात है लेकिन इसके लिए अपने करीबियों से दूरी मत जाइए। कम से कम दिनभर में एक बार का खाना अपने परिवार या दोस्तों के साथ खाएं। जब हम अपने परिवार के प्रति स्नेह दर्शाते हैं तो रक्त में ऑक्सीटोसिन हार्माेन प्रवाहित होने लगता है जिससे ब्लड प्रेशर और तनाव कम होता है व याददाश्त बढ़ती है। घर के लोगों के साथ समय बिताने से आप खुश रहते हैं और आपको पॉजिटिव एनर्जी मिलती है।
Jivan Mein Khushiyan Lane Ke Liye Khas Tips - जीवन में खुशियां लाने के लिए खास टिप्स
Reviewed by health
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February 02, 2019
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