
Sukhasan se apne tanav ko door kare
आज की भागदाैड भरी जिंदगी में तनाव से दूर रहना मुश्किल जरूर है पर नामुकिन नहीं है। प्राचीन काल से ही तनाव काे दूर रखने के कर्इ सूत्र, याेग, आसन आदि हमें मिलते हैं जिन्हें अपनाकर हम तनाव काे अपने जीवन से बाहर निकाल सकते हैं। एेसा ही एक आसन है सुखासन।योग शस्त्र के अनुसार सुखासन मन को शांति प्रदान कर तनाव दूर करने वाला आसन माना जाता है। सुखासन दो शब्दाें सुख + आसन से मिलकर बना है। जिसका अर्थ है सुख देने वाला आसन। सुखासन से जहां मानसिक शांति मिलती है वहीं यह शरीर के अन्य हिस्साें को मजबूत बनाता है। तो आइए जानते हैं कि कैसे किया जाता है सुखासन :-
सबसे पहले समतल जमीन पर चटार्इ बिछाकर आलथी पालथी मारकर बैठ जाएं। अब अपने सिर व गर्दन को एक सीध में रखें।अपनी रीढ़ की हड्डी को भी सीधा रखें। अपने दोनाें कंधाें काे ढीला छोड़कर उन्हें एक सीध में रखें। फिर अपनी सांस को बिना जोर लगाए अंदर की आेर ले फिर बाहर की अाेर छोड़ें। अब अपनी हथेलियाें को अपनी पलथी के उपर रखें। अब अपना पूरा ध्यान अपनी श्वास क्रिया पर लगाते हुए सांस लम्बी आैर गहरी लें।
लाभ
सकारात्मक सोच बढ़ें - सुखासन के नियमित अभ्यास से हम अपनी स्मरणशक्ति व सकारात्मक सोच बढ़ा सकते हैं। जब हमारी साेच सकारात्मक बन जाती है तो उसके परिणाम भी सकारात्मक आने लगते हैं। अाैर इसके साथ-साथ ही इसके अभ्यास से मन अाैर मस्तिष्क को शांति मिलती है।मन अाैर मस्तिष्क की एकाग्रता बढ़ती है। मन की चंचलता कम होती है। गुस्से पर काबू रहता है।
मेरूदंड लचीला - इस अासन के नियमित रूप से अभ्यास करने से मेरूदंड लचीला आैर मजबूत बनता है जिससे बुढ़ापे में भी व्यक्ति तनकर चलता है अाैर उसकी रीढ़ की हड्डी झुकती नहीं है।
कब करें
सुबह शाम खाली पेट यह आसन किया जा सकता है। यह आसन नियमित रूप से 5 से 10 बार करें।
चेतावनी - घुटनाें व रीढ़ की हड्डी में दर्द से परेशान व्यक्ति को यह आसन सुविधाजनक लगने पर ही करना चाहिए।
सुखासन से अपने तनाव को दूर करे Sukhasan se apne tanav ko door kare
Reviewed by health
on
December 01, 2018
Rating:
No comments:
Post a Comment