Second Hand Smoking Ke Na Banein Shikar |
क्या है पैसिव स्मोकिंग
पैसिव स्मोकिंग या परोक्ष धूम्रपान को 'सेकंड हैंड स्मोकिंग' भी कहते हैं। इस स्थिति में व्यक्ति विशेष खुद धूम्रपान नहीं करता लेकिन दूसरे के धूम्रपान करने पर वह उसके धुएं को सांस के जरिए अंदर लेने पर मजबूर होता है। इसे ईटीएस यानी 'एन्वॉयरमेंटल टॉबेको स्मोक, भी कहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बच्चे घरों में पैसिव स्मोकिंग के सबसे ज्यादा शिकार होते हैं।
बाहर पीने से फर्क नहीं
अगर आप धूम्रपान करते हैं और हर बार इसके लिए घर से बाहर यह सोचकर निकल जाते हैं कि इससे आपके बच्चे सुरक्षित रहेंगे तो यह खयाल गलत है। ऑस्ट्रेलिया में हुई एक रिसर्च के मुताबिक सिगरेट पीने वाले माता-पिता की सांस में धूम्रपान करने का प्रभाव 24 घंटे बाद भी रहता है। यह प्रभाव 4-9 साल के बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है। जो माता-पिता घर से बाहर जाकर धूम्रपान करते हैं, उनके घरों में भी निकोटिन के जानलेवा अंश तैरते रहते हैं। इस रिसर्च के लेखक डॉ. क्रासी रूमचेव बताते हैं कि घर के अंदर सिर्फ सांसें लेने से ही सब कुछ विषैला हो सकता है क्योंकि ये कण कपड़ों में भी चिपक सकते हैं।
नुकसान हैं कई
पैसिव स्मोकिंग से मुंह, गले व फेफड़े का कैंसर होने की आशंका रहती है। वे माता-पिता जो बच्चों की मौजूदगी में सिगरेट पीते हैं, उनके बच्चों की रक्त नलिकाओं की दीवारें मोटी होने लगती हैं और उन्हें दिल का दौरा पडऩे व स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इससे गर्भस्थ शिशु मंदबुद्धि या विकलांग पैदा हो सकता है।
बचने के उपाय
धूम्रपान की आदत को धीरे-धीरे खत्म करें। जैसे ही सिगरेट पीने की तलब हो खुद को किसी न किसी काम में व्यस्त कर लें। आप सौंफ या इलायची भी चबा सकते हैं।
दुनियाभर में नवंबर माह को फेफड़ों के कैंसर के प्रति अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है।
Second Hand Smoking Ke Na Banein Shikar - सैकंड हैंड स्मोकिंग के न बनें शिकार
Reviewed by health
on
January 22, 2019
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