Internet Use Karte Rahte Hain to Jaan Lein ye Khaas Baatein - इंटरनेट यूज करते रहते हैं तो जान लें ये खास बातें
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Internet Use Karte Rahte Hain to Jaan Lein ye Khaas Baatein |
Internet Use Karte Rahte Hain to Jaan Lein ye Khaas Baatein - इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी एवं इसका संवाद माध्यम के रूप में इस्तेमाल करना अच्छी बात है। लेकिन जब इससे दूर जाना लगभग असंभव सा लगने लगे तो इसे 'टेक एडिक्शन' का मामला माना जाएगा।
बच्चे हो रहे शिकार -
पिछले साल एसोसिएटेड चैम्बर ऑफ कॉमर्स (एसोचैम) की ओर से देश के कई मेट्रोपोलिटन शहरों में किए गए सर्वे में पता चला था कि 8-13 आयु वर्ग के 73 फीसदी बच्चे इंटरनेट पर विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साइट्स से जुड़े हुए हैं, जबकि 13 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को ऐसा करने की इजाजत नहीं है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हैल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (नीमहंस) के मनोविज्ञानी डॉ के मुताबिक, इंटरनेट के नशे और मनोवैज्ञानिक अवसाद यानी तनाव के बीच सीधा संबंध है। सहपाठियों से महसूस होने वाला दबाव, पढ़ाई की चिंता और अकेलापन इंटरनेट से 'चिपकने' के कारण हैं।
पिछले साल एसोसिएटेड चैम्बर ऑफ कॉमर्स (एसोचैम) की ओर से देश के कई मेट्रोपोलिटन शहरों में किए गए सर्वे में पता चला था कि 8-13 आयु वर्ग के 73 फीसदी बच्चे इंटरनेट पर विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साइट्स से जुड़े हुए हैं, जबकि 13 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को ऐसा करने की इजाजत नहीं है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हैल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (नीमहंस) के मनोविज्ञानी डॉ के मुताबिक, इंटरनेट के नशे और मनोवैज्ञानिक अवसाद यानी तनाव के बीच सीधा संबंध है। सहपाठियों से महसूस होने वाला दबाव, पढ़ाई की चिंता और अकेलापन इंटरनेट से 'चिपकने' के कारण हैं।
समय रहते चेत जाएं -
सबसे ज्यादा जरूरी है एडिक्शन की पहचान। पहचान होने पर अनुभवी मनोचिकित्सक की सलाह या टेक डी-एडिक्शन सेंटर की सेवाएं लेनी चाहिए। प्रभावित व्यक्ति को टेक एडिक्शन के नुकसान के बारे में बताएं। इंटरनेट या मोबाइल पर चैटिंग, पोस्टिंग या मेल-मैसेज चैक करने के लिए दिन में दो-तीन बार 15 से 20 मिनट का समय निश्चित कर दें। आउटडोर गेम्स, घूमने फिरने और शारीरिक गतिविधियों में संलग्न होने के लिए प्रेरित करें। हो सके तो बच्चे को संगीत से भी जोड़ सकते हैं।
सबसे ज्यादा जरूरी है एडिक्शन की पहचान। पहचान होने पर अनुभवी मनोचिकित्सक की सलाह या टेक डी-एडिक्शन सेंटर की सेवाएं लेनी चाहिए। प्रभावित व्यक्ति को टेक एडिक्शन के नुकसान के बारे में बताएं। इंटरनेट या मोबाइल पर चैटिंग, पोस्टिंग या मेल-मैसेज चैक करने के लिए दिन में दो-तीन बार 15 से 20 मिनट का समय निश्चित कर दें। आउटडोर गेम्स, घूमने फिरने और शारीरिक गतिविधियों में संलग्न होने के लिए प्रेरित करें। हो सके तो बच्चे को संगीत से भी जोड़ सकते हैं।
मजबूरी भी है इंटरनेट -
मोबाइल और इंटरनेट हमारे लिए अब जरूरी हो गए हैं। बच्चों के स्कूल होमवर्क से लेकर प्रोजेक्ट तक अब ऑनलाइन जमा होते हैं। ऐसे में इनसे पूरी तरह अलग रह पाना संभव नहीं है। उदय फाउंडेशन के प्रमुख राहुल वर्मा कहते हैं कि बच्चों को कोई बात जब पेरेंट्स समझाते हैं तो वे नहीं सुनते। वे दूसरों की बातों को सुनते हैं। इसलिए सेंटर में टैक एडिक्ट बच्चों को पारंपरिक तौर पर साथ खेलने और पसंद की चीजें करने की आजादी दी जाती है ताकि वे इंटरनेट से दूर रहें।
मोबाइल और इंटरनेट हमारे लिए अब जरूरी हो गए हैं। बच्चों के स्कूल होमवर्क से लेकर प्रोजेक्ट तक अब ऑनलाइन जमा होते हैं। ऐसे में इनसे पूरी तरह अलग रह पाना संभव नहीं है। उदय फाउंडेशन के प्रमुख राहुल वर्मा कहते हैं कि बच्चों को कोई बात जब पेरेंट्स समझाते हैं तो वे नहीं सुनते। वे दूसरों की बातों को सुनते हैं। इसलिए सेंटर में टैक एडिक्ट बच्चों को पारंपरिक तौर पर साथ खेलने और पसंद की चीजें करने की आजादी दी जाती है ताकि वे इंटरनेट से दूर रहें।
लत हटाने की कोशिश -
टैक एडिक्ट बच्चों की काउंसलिंग की जाती है। काउंसलिंग में बच्चे अपनी बात रखते हैं। उन्हें शतरंज, कैरम जैसे इंडोर गेम्स खिलाते हैं व थोड़ा समय इंटरनेट से दूर रखने की कोशिश की जाती है।
टैक एडिक्ट बच्चों की काउंसलिंग की जाती है। काउंसलिंग में बच्चे अपनी बात रखते हैं। उन्हें शतरंज, कैरम जैसे इंडोर गेम्स खिलाते हैं व थोड़ा समय इंटरनेट से दूर रखने की कोशिश की जाती है।
कितना जरूरी है इंटरनेट -
इंटरनेट सीमित तौर पर केवल जरूरत के समय इस्तेमाल किया जाए तो इससे नुकसान नहीं होता। वे कहती हैं कि दो साल की उम्र से ही बच्चे जब प्री-स्कूल और होम ट्यूशन में आते हैं, तभी से उनके जीवन में तनाव शुरू हो जाता है। जैसे-जैसे वे बड़े होते जाते हैं उनसे ऊल-जुलूल उम्मीदें रखी जाती हैं। परीक्षा में अच्छे अंक लाने का दबाव होता है। ऐसे में इंटरनेट उन्हें एक स्ट्रेस-फ्री माहौल देता है और वे उसमें समाते चले जाते हैं।
इंटरनेट के नशे के लक्षण -
इंटरनेट के साधारण उपयोग व नशे में अंतर को यूजर के व्यवहार से जान सकते हैं -
दिनभर मेल, व्हाट्सएप, एसएमएस व फेसबुक नोटिफिकेशन देखना या दूसरों की पोस्ट लाइक करना।
कम्प्यूटर या मोबाइल पर सोशल साइट्स, मैसेज आदि देखने या पोस्ट करने का कोई समय निश्चित ना होना।
इंटरनेट के साधारण उपयोग व नशे में अंतर को यूजर के व्यवहार से जान सकते हैं -
दिनभर मेल, व्हाट्सएप, एसएमएस व फेसबुक नोटिफिकेशन देखना या दूसरों की पोस्ट लाइक करना।
कम्प्यूटर या मोबाइल पर सोशल साइट्स, मैसेज आदि देखने या पोस्ट करने का कोई समय निश्चित ना होना।
मोबाइल हाथ से दूर ही नहीं करना।
पढ़ाई, घरेलू कामों में मन नहीं लगना और परफॉरमेंस में गिरावट आना।
पढ़ाई, घरेलू कामों में मन नहीं लगना और परफॉरमेंस में गिरावट आना।
आउटडोर गेम्स खेलने व शादी-विवाह या पार्टियों में जाने से कतराना। पूजा-पाठ या अन्य गतिविधियों में भी मोबाइल के बटन से छेड़छाड़ करना। सिरदर्द, आंख में दर्द या नींद न आने की शिकायत करना।
नेट से दूरी ही है बचाव - इंटरनेट की लत छुड़ाने का सबसे अच्छा उपाय इसका सीमित उपयोग है। हालांकि काउंसलिंग का भी सहारा ले सकते हैं। बच्चों को तकनीक से दूर रखना मुश्किल है पर थोड़ी हार्ड पेरेंटिंग से यह संभव है।
Internet Use Karte Rahte Hain to Jaan Lein ye Khaas Baatein - इंटरनेट यूज करते रहते हैं तो जान लें ये खास बातें
Reviewed by health
on
January 24, 2019
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