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Gehon Ki Allergy - गेहूं की एलर्जी

Gehon Ki Allergy

Gehon Ki Allergy             

Gehon Ki Allergy  - सीलिएक रोग गेहूं की एलर्जी एक एेसा रोग है जाे जानलेवा नहीं लेकिन समय पर इलाज न होने से जटिल रोगों में बदल सकता है।गेहूं की एलर्जी से होने वाली सीलिएक,एक ऐसी बीमारी है जो पीडि़त को हमेशा पेट की समस्याओं से परेशान रखती है। इस बीमारी से बचाव के लिए लोगों का जागरूक होना बहुत जरूरी है।पिछले दो दशक में सामने आई नई बीमारियों में प्रमुख है 'सीलिएक रोग'। जिसके लिए ग्लूटेन नामक प्रोटीन जिम्मेदार होता है। बच्चों में खासतौर पर ग्लूटेन के कारण ऐसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं जिससे उनका भविष्य खराब हो सकता है।

सीलिएक की वजह है ग्लूटेन
ग्लूटेन नामक प्रोटीन के कारण सीलिएक बीमारी होती है जो पीड़ित व्यक्ति को पूरे जीवनभर एलर्जी, पेट की समस्याओं से परेशान रखती है। हमारे देश में इस बीमारी को लेकर बहुत कम जागरुकता है। सीलिएक से पीडि़त लोगों को गेहूं और जौ में मौजूद ग्लूटेन नामक प्रोटीन से एलर्जी होती है। इस बीमारी के वंशानुगत होने की आशंका सामान्य के मुकाबले 10 फीसदी तक ज्यादा होती है। सीलिएक जानलेवा नहीं है, लेकिन समय रहते इलाज नहीं होने पर यह दूसरे जटिल रोगों में तब्दील हो सकती है।
ग्लूटेन हमारी डाइजेस्टिव ट्रैक्ट की आंतरिक झिल्ली को क्षतिग्रस्त करता है, जिससे पोषक तत्व अवशोषित नहीं हो पाते और पेट संबंधित बीमारियां होने लगती हैं। पीड़ित एनीमिया, वजन में कमी या थकावट महसूस करने लगता है। कई बार मरीज शरीर में फैट को एब्जोर्ब नहीं कर पाते और मोटापे समेत कई बीमारियों की गिरफ्त में आ जाते हैं।इस बीमारी के वंशानुगत होने की आशंका सामान्य के मुकाबले 10 फीसदी तक ज्यादा होती है।

ऐसे करें ग्लूटेन से बचाव
ग्लूटेन के मामले में सजगता ही बचाव है। ग्लूटेन की एलर्जी मुख्य रूप से आंत को प्रभावित करती है। ग्लूटेन की एलर्जी शरीर में उपस्थित कुछ जींस की वजह से होती है। आहार में ग्लूटेन के तमाम स्रोतों को हटाकर उनकी जगह ग्लूटेन से मुक्त पौष्टिक खाद्य पदार्थों से इस रोग से बचा जा सकता है। इसके लिए सबसे बढ़िया विकल्प है कि गेहूं के आटे की जगह बेसन का इस्तेमाल किया जाए। ग्लूटेन से मुक्त आहार के लिए चावल, मक्का, ज्वार, सभी प्रकार की फलियां, फल-सब्जियां, दूध और उससे बने उत्पाद शामिल हैं। इसके अलावा खाद्य सामाग्री की पैकिंग पर लिखे गए विवरण को ध्यान से पढ़ें ताकि अनजाने में कहीं आप एलर्जिक फूड का शिकार न हो जाएं।

लक्षण, कैसे हो जांच
इस बीमारी के मुख्य लक्षणों में दस्त, पेट फूल जाना, भूख ज्यादा या कम लगना, लंबाई रुक जाना, खून की कमी, कार्यक्षमता में कमी और बच्चे का विकास रुक जाना शामिल हैं। रोग के लंबे समय तक जारी रहने पर आंतों के कैंसर और लिम्फोमा का खतरा हो जाता है। एक साधारण ब्लड टेस्ट से इस रोग का पता चल जाता है और पुष्टि के लिए एंडोस्कोपी की जाती है।

इनको कहें ना
खाने में गेहूं-जौ और रागी से बनी चीजें जैसे मैदा, आटा,सूजी और कस्टर्ड से परहेज करें। बाजार में मिलने वाले बिस्किट, पेटीज, नूडल, पास्ता, बे्रड, गेहूं के फ्लेक्स, सूप पाउडर, चॉकलेट, डिब्बाबंद सब्जियां-चटनी आदि से परहेज करें।

इनको अपनाया जाए
अनाज : चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, सोयाबीन, साबुदाना, राजगिरी, कुट्टू व सिंगाड़े के आटे से बनने वाली रोटी या मुरमुरा, चिवड़ा, मक्की का प्रयोग करें।

फास्टफूड : इडली, डोसा, आलू की टिक्की, भुना हुआ चना, चीला, खिचड़ी और दलिया आदि खाएं।


मीठा : खीर, गाजर या मूंग का हलवा, शहद, गुड़, घर में बनी मावे की मिठाइयां, रबड़ी, बेसन से बनने वाले लड्डू भी खाए जा सकते हैं।



Gehon Ki Allergy - गेहूं की एलर्जी Gehon Ki Allergy - गेहूं की एलर्जी Reviewed by health on January 24, 2019 Rating: 5

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