बच्चे की शैतानी कहीं इस बीमारी के लक्षण तो नहीं ?/Bachche ki shaitani kaheen is bimari ke lakshan to nahin

Bachche ki shaitani kaheen is bimari ke lakshan to nahin
क्या आपका बच्चा आजकल जरूरत से ज्यादा शैतान हो गया है, कोई भी काम टिक कर नहीं करता, बात-बात पर चिड़चिड़ा हो जाता है तो मम्मी आप इसे नजरअंदाज ना करें क्योंकि विशेषज्ञों के अनुसार यह अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) के लक्षण हो सकते हैं। आइए जानते हैं क्या है एडीएचडी और इस समस्या से कैसे बच सकते हैं।
बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार देश के छह फीसदी से ज्यादा बच्चे अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) की चपेट में हैं। यह समस्या आम होती जा रही है। एडीएचडी दिमाग की एक ऐसी अवस्था है, जिसके चलते बच्चे का किसी भी चीज पर ध्यान देना कम हो जाता है। वह न तो ठीक से पढ़ पाता है, न ही खेल पाता है और हमेशा जल्दबाजी में रहता है। उम्र के साथ यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ती जाती है, जिसकी वजह से बच्चा स्कूल व समाज में अन्य बच्चों की तुलना में पिछड़ता चला जाता है। यह समस्या 6 से 12 साल की उम्र के बच्चों में देखने को ज्यादा मिलती है। अगर समय रहते इस स्थिति में सुधार ना हो तो वयस्क होने तक यह समस्या का रूप ले लेती है।
कैसे पहचानें लक्षण -
बच्चे का किसी भी काम में मन ना लगे, वह बहुत ज्यादा गुस्सा करे, छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ा हो जाए, किसी की बात ना सुने, काम से जी चुराने लगे और लापरवाही करे तो हो सकता है कि उसे यह समस्या हो गई हो लेकिन ध्यान दें कि क्या बच्चा काफी समय से ऐसी एक्टिविटी कर रहा है। कई बार सामान्य शैतानियों और जिद को भी मम्मी-पापा एडीएचडी मान लेते हैं। वैसे इसे दो तरीके से पहचान सकते हैं।
बच्चे का किसी भी काम में मन ना लगे, वह बहुत ज्यादा गुस्सा करे, छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ा हो जाए, किसी की बात ना सुने, काम से जी चुराने लगे और लापरवाही करे तो हो सकता है कि उसे यह समस्या हो गई हो लेकिन ध्यान दें कि क्या बच्चा काफी समय से ऐसी एक्टिविटी कर रहा है। कई बार सामान्य शैतानियों और जिद को भी मम्मी-पापा एडीएचडी मान लेते हैं। वैसे इसे दो तरीके से पहचान सकते हैं।
हाइपरएक्टविटी -
एक जगह पर टिककर ना बैठना, जरूरत से ज्यादा बोलना, मना करने पर भी गलत काम करते रहना और हमेशा शोर मचाना।
एक जगह पर टिककर ना बैठना, जरूरत से ज्यादा बोलना, मना करने पर भी गलत काम करते रहना और हमेशा शोर मचाना।
इंपल्स होना -
बिना सोचे समझे कुछ भी करना या बोलना, बिना ट्रैफिक देखे सड़क पर दौड़ पड़ना, चीजों के लिए इंतजार ना करना, सवाल पूरा होने से पहले जवाब देना और हमेशा दूसरों को परेशान करना।
बिना सोचे समझे कुछ भी करना या बोलना, बिना ट्रैफिक देखे सड़क पर दौड़ पड़ना, चीजों के लिए इंतजार ना करना, सवाल पूरा होने से पहले जवाब देना और हमेशा दूसरों को परेशान करना।
क्या है समाधान
सेल्फ कंट्रोल ट्रेनिंग
काउंसलर की मदद से बच्चों को ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे वह अपने व्यवहार पर खुद ही निगरानी रख सके।
सेल्फ कंट्रोल ट्रेनिंग
काउंसलर की मदद से बच्चों को ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे वह अपने व्यवहार पर खुद ही निगरानी रख सके।
जागरुकता है जरूरी -
माता-पिता को इसके बारे में जागरूक होना होना चाहिए। एडीएचडी से ग्रसित बच्चों के लिए क्लास में कॉन्संट्रेट कर पाना और टिककर बैठना काफी मुश्किल होता है। इसलिए ऐसे बच्चों के लिए काउंसलर की मदद से अलग स्टडी प्रोग्राम तैयार करवाना चाहिए।
माता-पिता को इसके बारे में जागरूक होना होना चाहिए। एडीएचडी से ग्रसित बच्चों के लिए क्लास में कॉन्संट्रेट कर पाना और टिककर बैठना काफी मुश्किल होता है। इसलिए ऐसे बच्चों के लिए काउंसलर की मदद से अलग स्टडी प्रोग्राम तैयार करवाना चाहिए।
व्यक्तिगत काउंसलिंग -
एडीएचडी की समस्या बच्चे को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तौर पर बुरी तरह प्रभावित करती है। इसलिए उनकी सोच और भावनाओं को ध्यान में रखते हुए व्यक्तिगत तौर पर उन्हें प्रेरित करना बेहद आवश्यक है।
एडीएचडी की समस्या बच्चे को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तौर पर बुरी तरह प्रभावित करती है। इसलिए उनकी सोच और भावनाओं को ध्यान में रखते हुए व्यक्तिगत तौर पर उन्हें प्रेरित करना बेहद आवश्यक है।
डॉक्टरी राय -
शिशु रोग विशेषज्ञ के अनुसार इस बीमारी को डायग्नोस करना काफी मुश्किल है। बच्चा अगर छह महीने से ज्यादा समय तक ऐसी एक्टिविटी करता रहे तभी डॉक्टर से सलाह लें। अमूमन यह बीमारी काउंसलिंग और अभिभावकों की मदद से ठीक हो जाती है, फिर भी कुछ केस ज्यादा जटिल होते हैं लेकिन दवाओं से उनका भी इलाज संभव है।
शिशु रोग विशेषज्ञ के अनुसार इस बीमारी को डायग्नोस करना काफी मुश्किल है। बच्चा अगर छह महीने से ज्यादा समय तक ऐसी एक्टिविटी करता रहे तभी डॉक्टर से सलाह लें। अमूमन यह बीमारी काउंसलिंग और अभिभावकों की मदद से ठीक हो जाती है, फिर भी कुछ केस ज्यादा जटिल होते हैं लेकिन दवाओं से उनका भी इलाज संभव है।
बच्चे की शैतानी कहीं इस बीमारी के लक्षण तो नहीं ?/Bachche ki shaitani kaheen is bimari ke lakshan to nahin
Reviewed by health
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December 18, 2018
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