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Yun Bachayi Gayi Ek Zindagi - यूं बचाई गई एक जिंदगी

Yun Bachayi Gayi Ek Zindagi

Yun Bachayi Gayi Ek Zindagi              

Yun Bachayi Gayi Ek Zindagi - क्या कोई बच्चा जिसकी सांस गति और हृदय की धड़कन डेढ़ घंटे तक बंद रही हो, वह फिर से जीवित हो सकता है? घटना ऑस्ट्रिया के एक शीत प्रदेश की है। 3 साल की मासूम बच्ची ठंडे फिश पॉण्ड में डूब गई। माता-पिता को मालूम होने व कुंड से निकालने में आधा घंटा लग गया।

बच्ची ठंडी टीप, बेहोश, सांस रुकी हुई, हृदय गति बंद। इमरजेंसी को फोन किया। जवाब मिला हम तुरंत हेलिकॉप्टर से पहुंच रहे हैं, तब तक बच्ची के मुंह में सांस फूंकिए।उसका सीना आगे से दबाइए। 8 मिनट में इमरजेंसी टीम पहुंच गई और बच्ची को सीपीआर करते हुए हेलीकॉप्टर से ले उड़ी। अस्पताल की इमरजेंसी को फोन किया कि 30 मिनट तक ठंडे पानी में डूबी हुई बच्ची को ला रहे हैं। उचित आपतकालीन इलाज की तैयारी करें। अस्पताल पहुंचने में उन्हें 25 मिनट लगे।

बच्ची को सीधा ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया। बच्ची का अंदर का ताप तब मात्र 18.7 डिग्री से. था। एक टीम ने कृत्रिम सांस और सीने को दबाने की प्रक्रिया (सीपीआर) चालू रखी। दूसरी टीम ने दाईं जांघ की बड़ी धमनी में एक नली डाली और पास की शिरा में दूसरी नली और दोनों को हार्ट-लंग-बाई-पास मशीन से जोड़ दिया। शिरा से खून कृत्रिम फेफड़े (लंग) में गया जहां उसके ऑक्सीकरण के साथ उसे धीरे-धीरे गर्म भी किया गया और एक पंप के द्वारा धमनी में लौटा दिया गया। यह शुरू करने में 20 मिनट लग गए। शरीर का तापमान 37 डिग्री लाने में 6 घंटे लगे।

जब बच्ची का तापमान 24 डिग्री पर पहुंचा तभी दिल पुन: धड़कना चालू हो गया। लेकिन दुर्भाग्य से फेफड़ों में तरल भरा था, अत: ऑक्सीकरण नहीं हो पा रहा था। दिल धड़कने से रक्त संचार शुरू हुआ लेकिन रक्त फेफड़ों में ऑक्सीकृत नहीं हो रहा था। जरूरी था कि हृदय को चालू रखते हुए रक्त को बाहर कृत्रिम फेफड़े में आक्सीकृत कर वापस हृदय में भेजा जाए। इस प्रक्रिया को एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन आक्सीजेनेशन कहते हैं।

उन्होंने बच्ची का सीना खोला व अभ्यस्त विधि से एक नली हृदय की बड़ी धमनी एओर्टा में और दूसरी नली दाएं एट्रियम में डाली और ईसीएमओ मशीन से जोड़ दिया। बच्ची को आईसीयू में शिफ्ट किया गया। धीरे-धीरे ईसीएमओ के काम को कम करने और फेफड़ों का काम पूरा शुरू होने में 15 घंटे लगे। तब ईसीएमओ हटाया गया व सीना बंद किया गया।

उसके बाद कृत्रिम सांस यंत्र और सघन चिकित्सा चालू रखने के लिए बच्ची को बेहोश रखा गया। 12 दिन बाद बच्ची होश में आई और कृत्रिम सांस यंत्र को हटाया जा सका। दिमाग पूरी तरह काम कर रहा था। छह महीने बाद दाएं पांव और बाएं हाथ में थोड़ी कमजोरी के अलावा बच्ची पूरी तरह स्वस्थ थी। यह था चमत्कार जो हुआ नहीं, किया गया था।



Yun Bachayi Gayi Ek Zindagi - यूं बचाई गई एक जिंदगी Yun Bachayi Gayi Ek Zindagi -  यूं बचाई गई एक जिंदगी Reviewed by health on January 12, 2019 Rating: 5

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