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| Mitr Baikteeriya Sanvaarenge Seha |
Mitr Baikteeriya Sanvaarenge Seha- बैक्टीरिया आपको बीमार कर सकते हैं लेकिन शरीर में कुछ ऐसे बैक्टीरिया भी होते हैं जो सेहत के लिए उपयोगी होते हैं। 'क्लिन गट' किताब लिखने वाले न्यूयॉर्क के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अलेजेंड्रो जुंगर ऐसी अच्छी आदतें अपनाने की सलाह देते हैं जिससेे अपने अंदर के इन नन्हें मेहमानों को सेहतमंद दोस्तों में बदला जा सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रोबायोटिक वे जीवित सूक्ष्मजीव होते हैं जिन्हें खाने से शरीर में अच्छे जीवाणुओं की वृद्धि होती है और पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है। भोजन के द्वारा यदि हम इन मित्र जीवाणुओं को भीतर लें तो वे धीरे-धीरे शरीर में उपलब्ध शत्रु जीवाणुओं को नष्ट करने में कारगर सिद्ध होते हैं। मित्र जीवाणु दूध, दही जैसे प्राकृतिक स्रोतों और भोजन से प्राप्त होते हैं।
फैट्स को कहें ना
मित्र और शत्रु सूक्ष्मजीवों की तरह वसा भी अच्छी व बुरी होती है। मित्र जीवाणुओं को अच्छी वसा पसंद होती है और शत्रुओं को बुरी। अब यह हम पर निर्भर करता है कि हम तेल, घी, मक्खन और तमाम तरह के डेयरी प्रोडक्ट में से अच्छे फैट्स को चुनेंं। चूहों पर की गई एक स्टडी में पाया गया है कि डायटरी फैट्स आंत को अंदर से नुकसान पहुंचाते हैं और इससे शत्रु बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं। ये खून में ऐसे रसायन छोड़ते हैं जिनसे शरीर में चर्बी को जमा होने में मदद मिलती है व मोटापा बढ़ता है।
सावधानियां
एंटीबॉयोटिक दवाएं रोगाणुओं के बहाने सभी सूक्ष्मजीवों का सफाया कर देती हैं। इसलिए हर एक एंटीबॉयोटिक दवा के दुष्प्रभाव होते हैं और डॉक्टर उनके बारे में सचेत भी करते हैं। यदि आप अच्छे जीवाणुओं को बढ़ावा देना चाहते हैं तो उन्हें ताकत देने के लिए एंटीबॉयोटिक के प्रयोग के प्रति सावधान रहें।
मात्रा बढ़ाएं
पौधों और अनाज से मिलने वाले जिस अपचनीय कार्बोहाइड्रेट पर सजीव प्रो-बायोटिक पलते हैं, उसे प्री-बायोटिक कहते हैं। प्री-बायोटिक्स अपचनीय स्टार्च और चोकर जैसे निर्जीव पदार्थ हैं। साबुत अनाज, लहसुन आदि प्री-बायोटिक्स के स्रोत हैं। ब्रिटिश न्यूट्रीशन जर्नल के मुताबिक प्रोबायोटिक व प्रीबायोटिक इम्यून सिस्टम मजबूत, एलर्जी और विषैले पदार्थों पर नियंत्रण व मोटापा कम करते हैं। शरीर में 500 किस्म के बैक्टीरिया होते हैं जो आहार नली के सही पीएच वाले पोषक वातावरण में पलते हैं।
तनाव से बचें
जितने तनावग्रस्त रहेंगे हमारे अंदर के अच्छे सूक्ष्मजीव भी उतने ही प्रभावित होंगे और नुकसान पहुंचाएंगे। 'ब्रेन, बिहेवियर एंड इम्यूनिटी' नामक जर्नल में छपी रिपोर्ट में चूहों पर की गई एक स्टडी में पाया गया कि ज्यादा तनाव में अच्छे जीवाणुओं की संख्या घटती है और कम तनाव में बढ़ती है। रिपोर्ट के अनुसार अगर हम अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखना चाहते हैं तो तनाव पर काबू पाना सबसे जरूरी होता है। तनाव कम करने के लिए आप व्यायाम, योगा या ध्यान आदि का सहारा ले सकते हैं।
Mitr Baikteeriya Sanvaarenge Sehat- मित्र बैक्टीरिया संवारेंगे सेहत
Reviewed by health
on
January 01, 2019
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