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Kharraton se Kaisa Ilaaj Chahiye Apako- खर्राटों से कैसा इलाज चाहिए आपको

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Kharraton se Kaisa Ilaaj Chahiye Apako         

Kharraton se Kaisa Ilaaj Chahiye Apako; दाम्पत्य व पारिवारिक जीवन में खलल डालने वाले खर्राटे ब्लड प्रेशर, एंजाइना एवं एरीथमिया जैसे हृदय रोगों, दिल व मस्तिष्क के दौरे, सांस में रुकावट, लकवा, मोटापे जैसी खतरनाक बीमारियों और यहां तक कि मौत का कारण भी बन सकते हैं। डॉक्टरों ने पाया है कि तेज खर्राटे सांस में अवरोध पैदा करके नींद में ही दम घोंट सकते हैं।

तीन प्रकार के स्लीप एप्निया
खर्राटों की अवधि व प्रक्रिया बढऩे के साथ-साथ जब सांस लेने में अवरोध 10 सेकंड से ज्यादा हो जाता है और हर घंटे सात से अधिक बार सांस रुकती है तब उसे ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया (अवरोधक) कहा जाता है। स्लीप एप्निया तीन तरह का होता है-केंद्रीय, अवरोधक और मिश्रित।ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया, अनिद्रा से सम्बन्धित एक गंभीर बीमारी एवं समस्या है।देश में लगभग 1/3 वयस्क आबादी को गहरी नींद नहीं आती।

खर्राटों की जांच
अनिद्रा संबंधी रोगों के इलाज के लिए ईएनटी विशेषज्ञ से सलाह लें। विशेषज्ञ कान, नाक, गले की जांच करते हैं और रोगी की आयु, लक्षणों को ध्यान में रखते हुए निम्न परीक्षण करवाते हैं।

पोलिसोम्नोग्राफी : यह रोगी की नींद के दौरान रातभर चलने वाला परीक्षण है जिसमें यह मापा जाता है कि नींद के दौरान शरीर की गतिविधि में कैसे परिवर्तन होते हैं जैसे कि हृदय गति, नींद के चक्रों की जानकारी, खून में ऑक्सीजन की कमी, सांस लेने की गति में हो रहे बदलाव आदि।

वॉच पैट : यह एक छोटा घड़ीनुमा यंत्र है जो नींद के दौरान शरीर की गतिविधियों को सटीक ढंग से मापता है। यह यंत्र उपयोग करने में आसान है व घर पर रहते हुए इसे लगाया जा सकता है।

एप्निया ग्राफ : यह विभिन्न प्रकार के स्लीप एप्निया में अंतर कर सकता है व रोगियों में अवरोध की सही जगह को बताता है।

सांस मार्ग की दूरबीन से जांच :मरीज को हल्का एनेस्थीसिया दिया जाता है व नींद के दौरान दूरबीन द्वारा तालु, जीभ के पिछले हिस्से, गले की मांसपेशियों व सांस नली के निचले हिस्से की जांच की जाती है कि सांस लेने में कोई अवरोध तो नहीं।

इलाज व डॉक्टरी राय
इलाज, ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया की गंभीरता पर निर्भर करता है। सर्जिकल उपचार में कागले व तालु (कोमल ऊतक) के उस हिस्से को जिसके कंपन से खर्राटे उत्पन्न होते हैं, संकुचित करदिया जाता है। रेडियोफ्रिक्वेंसी द्वारा तालु में कागले के दोनों तरफ छोटे-छोटे चीरे लगाए जाते हैं। इससे ऊत्तकों में सिकुडऩ पैदा होती है व सांस नली चौड़ी होने पर उसका अवरोध दूर हो जाता है। यदि टॉन्सिल बढ़े हुए हो तो उन्हें भी साथ ही निकाल दिया जाता है। अगर रोगी की सांस हर घंटे में केवल 5-15 बार कुछ सेकंड के लिए अवरुद्ध होती है तो उसे वजन कम करने व जीवनशैली को सुधारने की सलाह दी जाती है। जैसे कि नींद की गोलियों व शराब का सेवन न करें, नियमित व्यायाम व सांस संबंधी योगासन करें आदि।
यदि रोगी की सांस हर घंटे में 15-30 बार कुछ सेकंड के लिए अवरुद्ध हो तो उसे सी.पी.ए.पी. दिया जाता है। नेजल सी.पी.ए.पी. एक इलेक्ट्रोनिक उपकरण है जिसे नाक पर मास्क के द्वारा फिट किया जाता है व इसके द्वारा सांस नली के अंदर हवा का दबाव बनाया जाता है जिससे यह खुल जाती है और रोगी चैन से सो सकता है। इस मशीन का कोई दुष्प्रभाव नहीं है। जिस प्रकार हम पंखे से हवा खाते हैं, उसी प्रकार सांस नली को हवा देने का काम इस मशीन द्वारा किया जाता है।

डॉक्टरी राय :सोने से पहले अवसाद-निरोधक एवं मांसपेशियों को आराम देने वाली दवा न लें। डिनर सोने से दो से तीन घंटे पहले कर लें। रोजाना एक ही समय पर सोएं। करवट लेकर सोने की कोशिश करें। पलंग का सिर वाला हिस्सा कम से कम चार इंच ऊंचा रखें।



Kharraton se Kaisa Ilaaj Chahiye Apako- खर्राटों से कैसा इलाज चाहिए आपको Kharraton se Kaisa Ilaaj Chahiye Apako- खर्राटों से कैसा इलाज चाहिए आपको Reviewed by health on January 01, 2019 Rating: 5

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