स्तन कैंसर से गर्भाशय कैंसर का भी खतरा भी हो सकता है : विशेषज्ञ/Stan Cancer se garbhashay cancer ka bhei khatara bhee ho sakata hai : visheshagy

Stan Cancer se garbhashay cancer ka bhei khatara bhee ho sakata hai : visheshagy
भारत में स्तन कैंसर महिलाओं की मौत का प्रमुख कारण बना हुआ है, लेकिन अब इसके कारण महिलाओं में गर्भाशय कैंसर के मामले भी बढ़ रहे हैं। कैंसर रोग विशेषज्ञ के अनुसार, सर्जिकल ऑन्कोलोजिस स्तन कैंसर से पीडि़त महिलाओं में गर्भाशय कैंसर का भी खतरा बना रहता है, क्योंकि एक ही प्रकार के जीन के मौजूद रहने से दोनों तरह के कैंसर होते हैं।
''कैंसर के लिए जीन उत्तरदायी होते हैं, स्तन कैंसर के मामले बढ़ने से पिछले कुछ सालों में गर्भाशय कैंसर के मामलों में इजाफा हुआ है। एम्स में भी कई ऐसे मामले आए हैं, जहां महिलाओं में दोनों तरह के कैंसर पाए गए हैं।
मानव में पाए जाने वाले बीआरसीए-1 और बीआरसीए-2 जीन से जो ट्यमूर पैदा होता है, उससे प्रोटीन का दमन होता है। दोनों में से किसी एक जीन में जब बदलाव आता है, यानी वह ठीक से काम नहीं करता, तो उससे क्षतिग्रस्त डीएनए की मरम्मत नहीं हो पाती है। इसके फलस्वरूप कोशिकाओं में अतिरिक्त आनुवांशिक तब्दीली आती है, जिससे कैंसर हो सकता है।
''बीआरसीए-1 और बीआरसीए-2 जीन स्तन और गर्भाशय दोनों प्रकार के कैंसर के लिए उत्तरदायी होते हैं। इनके काम नहीं करने से कैंसर के खतरे बढ़ जाते हैं। इसलिए स्तन कैंसर से पीड़ित मरीज में गर्भाशय कैंसर का खतरा बना रहता है। इसी प्रकार गर्भाशय कैंसर के मरीज को स्तन कैंसर का खतरा रहता है। 'अगर किसी को स्तन कैंसर है तो उसे गर्भाशय कैंसर होने की 30 से 35 फीसदी संभावना रहती है। वहीं, अगर किसी को गर्भाशय कैंसर है तो उसे स्तन कैंसर की संभावना 10 से 15 फीसदी रहती है। बीआरसीए-1 और बीआरसीए-2 में खासतौर से वंशानुगत परिवर्तन से स्तन और गर्भाशय कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा तोता है। इसके अलावा, गर्भाशय नाल, अग्न्याशय कैंसर सहित कई अन्य प्रकार के रोग होने का भी खतरा बना रहता है।
पहले ऐसा माना जाता था कि ज्यादातर 50 साल साल से अधिक उम्र की महिलाएं स्तन और गर्भाशय कैंसर से पीड़ित होती हैं, मगर अब 35 साल से कम उम्र की महिलाओं में भी स्तन और गर्भाशय कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जीवनशैली खराब होने के कारण महिलाएं कैंसर से पीडि़त हो रही हैं। अगर किसी परिवार में एक-दो सदस्य स्तन या गर्भाशय कैंसर से पीड़ित हैं तो परिवार की सभी महिलाओं को बीआरसीए-1 और बीआरसीए-2 की जांच करानी चाहिए। साथ ही, स्तन और गर्भाशय कैंसर की जांच जल्द करानी चाहिए। अगर किसी महिला की मां को 45 साल की उम्र में स्तन कैंसर हुआ था तो उसे 35 साल की उम्र में ही मैमोग्राफी शुरू कर देनी चाहिए।
भारत में जीन परीक्षण महंगा होने के कारण अनेक महिलाओं में समय पर कैंसर की बीमारी का पता नहीं चल पाता है। जीन परीक्षण में करीब 25,000-26,000 रुपये खर्च होते हैं। भारत में 90 फीसदी मरीज डॉक्टर के पास तब आते हैं जब कैंसर एडवांस्ड स्टेज में होता है। दरअसल, शुरुआती चरण में इसका पता ही नहीं चल पाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि गर्भाशय कैंसर के लक्षण का पता नहीं चल पाता है। उच्च तकनीक की सर्जरी के बावजूद मरीज के बचने की दर 30 फीसदी है।
स्तन कैंसर से गर्भाशय कैंसर का भी खतरा भी हो सकता है : विशेषज्ञ/Stan Cancer se garbhashay cancer ka bhei khatara bhee ho sakata hai : visheshagy
Reviewed by health
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December 23, 2018
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