Nimoniya mein bachche nila kyon pad jata hai
निमोनिया फेफड़ों से जुड़ी बीमारी है। फेफड़ें मुख्य रूप से ब्लड में मौजूद दूषित गैस जैसे कार्बन डाईऑक्साइड को फिल्टर कर शरीर में ऑक्सीजन की पूर्ति करते हैं जिससे शरीर स्वस्थ रहता है। जब शिशुओंं के फेफड़ों में इंफेक्शन होता है तो फेफड़ें ठीक से काम नहीं करते हैं और ब्लड में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है जिससे बच्चों का शरीर नीला पड़ने लगता है। इसमें थोड़ी सी भी लापरवाही नुकसानदायक हो सकती है। शिशुओं के जान पर बन आती है। निमोनिया किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है लेकिन पांच साल से कम उम्र के बच्चों में मौत का दूसरा कारण हैं। वर्ष 2016 में इससे करीब तीन लाख बच्चों की मौत हुई थी।
दो माह से छोटे शिशुओंं को खतरा
दो माह से छोटे बच्चों को निमोनिया की आशंका अधिक रहती है। इसकी वजह बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होती है। जल्द इंफेक्शन हो जाता है। लो बर्थ और प्रीम्चयोर शिशुओं में भी इसकी आशंका अधिक बढ़ जाती है। शिशु का सुस्त रहना, सांस तेज चलना, बुखार, खांसी, दूध न पीना, सीने में गड्ढे बनना इसके लक्षण हैं।
बंद कमरे में शिशु को न रखें
सर्दी में निमोनिया के मामले बढ़ते हैं। इसकी वजह बंद कमरे में ज्यादा लोग रहते हैं। निमोनिया छींक के साथ फैलने वाली बूंदों से होने वाला रोग है। अगर घर में किसी को सर्दी-जुकाम है तो बच्चे को होने की आशंका अधिक रहती है। साफ-सफाई का ध्यान रखें। बाहरी लोगों से दूर रखें। अगर बाहरी लोगों को इंफेक्शन हो गया है तो बच्चे को भी हो सकता है। इसके अलावा बच्चे की हेल्दी डाइट पर भी ध्यान देना चाहिए. इसके साथ ही शिशुओं की नियमित टीकाकरण करवाएं। टीकाकरण से शिशुओं की इम्युनिटी बढ़ती है। बीमारियों से बचाव होता है। टीकाकरण अच्छे विशेषज्ञ की सलाह से करवाएं ।
निमोनिया में बच्चे नीला क्यों पड़ जाता है Nimoniya mein bachche nila kyon pad jata hai
Reviewed by health
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December 11, 2018
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