गेंहू के ज्वार कैंसर व अन्य रोगों के लिए प्राकृतिक दवा है Genhu ke jwar cancer w anya rogo ke lie prakritik dawa hai
Genhu ke jwar cancer w anya rogo ke lie prakritik dawa hai
गेहूं के जवारे रक्त की कमी, उच्च रक्तचाप, सर्दी, अस्थमा, साइनस, पाचन संबंधी रोग, अल्सर, कैंसर, आंतों की सूजन, दांत संबंधी समस्याओं, चर्म रोग, किडन और थायरॉइड ग्रंथि की समस्या में फायदा करते हैं। इसके जूस में मौजूद क्लोरोफिल काफी फायदेमंद होता है। यह शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालकर शरीर की सफाई करता है। इससे पाचन प्रक्रिया में सुधार होता है।
उगाने की विधि : मिट्टी के कुंडे में खाद मिली हुई मिट्टी लें। अब इसमें गेहूं बोएं। पानी डालकर इसे छाया में रखें। सूर्य की धूप कुंडे पर ज्यादा और सीधी ना लगे, इसका ध्यान रखें। इसमें रोजाना पानी दें। आठ से नौ दिनों में इन जवारों को काटकर प्रयोग कर सकते हैं। ध्यान रहे कि बर्तन मिट्टी का ही हो।
ऐसे करें प्रयोग : जवारे काटने के तुरन्त बाद इन्हें धो डालें। फिर इन्हें पानी मिलाकर मिक्सी में ब्लैंड कर लें। इसमें शहद या अदरक भी डाल सकते हैं, छानकर इस जूस को पीएं। इसे हमेशा ताजा ही पीएं क्योंकि तीन घंटे में इसके पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। वैसे दिन में किसी भी समय जवारों का रस पीया जा सकता है, लेकिन खाली पेट यह रस पीने से ज्यादा फायदा होता है। रस लेने के आधा घंटा पहले और लेने के आधे घंटे बाद तक कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए। जवारों के रस में नमक या नींबू ना डालें।
गेहूं के जवारे रक्त की कमी, उच्च रक्तचाप, सर्दी, अस्थमा, साइनस, पाचन संबंधी रोग, अल्सर, कैंसर, आंतों की सूजन, दांत संबंधी समस्याओं, चर्म रोग, किडन और थायरॉइड ग्रंथि की समस्या में फायदा करते हैं। इसके जूस में मौजूद क्लोरोफिल काफी फायदेमंद होता है। यह शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालकर शरीर की सफाई करता है। इससे पाचन प्रक्रिया में सुधार होता है।
उगाने की विधि : मिट्टी के कुंडे में खाद मिली हुई मिट्टी लें। अब इसमें गेहूं बोएं। पानी डालकर इसे छाया में रखें। सूर्य की धूप कुंडे पर ज्यादा और सीधी ना लगे, इसका ध्यान रखें। इसमें रोजाना पानी दें। आठ से नौ दिनों में इन जवारों को काटकर प्रयोग कर सकते हैं। ध्यान रहे कि बर्तन मिट्टी का ही हो।
ऐसे करें प्रयोग : जवारे काटने के तुरन्त बाद इन्हें धो डालें। फिर इन्हें पानी मिलाकर मिक्सी में ब्लैंड कर लें। इसमें शहद या अदरक भी डाल सकते हैं, छानकर इस जूस को पीएं। इसे हमेशा ताजा ही पीएं क्योंकि तीन घंटे में इसके पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। वैसे दिन में किसी भी समय जवारों का रस पीया जा सकता है, लेकिन खाली पेट यह रस पीने से ज्यादा फायदा होता है। रस लेने के आधा घंटा पहले और लेने के आधे घंटे बाद तक कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए। जवारों के रस में नमक या नींबू ना डालें।
गेंहू के ज्वार कैंसर व अन्य रोगों के लिए प्राकृतिक दवा है Genhu ke jwar cancer w anya rogo ke lie prakritik dawa hai
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December 11, 2018
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