अगर आप भी करवाते हैं बार-बार सेहत की जांच तो हो जाएं सावधान/Agar aap bhi karawate hai baar-baar sehat ki janch to ho jaen savadhaan

Agar aap bhi karawate hai baar-baar sehat ki janch to ho jaen savadhaan
घुटनों में दर्द है ? एक्सरे करवाइए। पेट दुखता है ? अल्ट्रासोनोग्राफी करवाइए। सिरदर्द रहता है ? चक्कर आते हैं? सीटी स्कैन करवाइए। कभी खून की जांच करवाने को कहा जाता है। अक्सर इस तरह के टेस्ट करवाने की सलाह डॉक्टर देते ही रहते हैं और बीमारी से निजात पाने के लिए मरीज इन्हें करवाते भी हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस तरह की जांचों से कई बार मरीज की सेहत पर काफी बुरा असर भी पड़ सकता है।
मजबूरी या जरूरत ?
डॉक्टर किसी भी कानूनी पेचीदगी में फंसने से बचने या खुद को आश्वस्त करने के लिए पुख्ता प्रमाणों पर आधारित इलाज करना चाहते हैं इसलिए वे लैबोरेटरी जांच की सलाह देते हैं और रिपोर्ट के आधार पर आगे बढ़ते हैं। लेकिन बहुत कम डॉक्टर एक्सरे और सीटी स्कैन जैसी जांचों से होने वाले रेडिएशन के बुरे असर की बात मरीजों को बताते हैं।
डॉक्टर किसी भी कानूनी पेचीदगी में फंसने से बचने या खुद को आश्वस्त करने के लिए पुख्ता प्रमाणों पर आधारित इलाज करना चाहते हैं इसलिए वे लैबोरेटरी जांच की सलाह देते हैं और रिपोर्ट के आधार पर आगे बढ़ते हैं। लेकिन बहुत कम डॉक्टर एक्सरे और सीटी स्कैन जैसी जांचों से होने वाले रेडिएशन के बुरे असर की बात मरीजों को बताते हैं।
रेडिएशन से खतरा -
'एंजियोप्लास्टी जैसे इंटरवेंशनल प्रक्रिया से गुजरने वाले मरीजों को उच्च मात्रा में रेडिएशन झेलना पड़ता है। यह प्रक्रिया की अवधि पर निर्भर करता है कि उन्हें इसकी कितनी मात्रा झेलनी पड़ती है। कुछ मामलों में मरीज को इस रेडिएशन से कैंसर तक हो सकता है।
'एंजियोप्लास्टी जैसे इंटरवेंशनल प्रक्रिया से गुजरने वाले मरीजों को उच्च मात्रा में रेडिएशन झेलना पड़ता है। यह प्रक्रिया की अवधि पर निर्भर करता है कि उन्हें इसकी कितनी मात्रा झेलनी पड़ती है। कुछ मामलों में मरीज को इस रेडिएशन से कैंसर तक हो सकता है।
प्रजनन क्षमता पर भी प्रभाव -
बच्चों में रेडिएशन की वजह से होने वाले कैंसर का खतरा, वयस्कों की तुलना में दो-तीन गुणा ज्यादा होता है। रेडिएशन के प्रति ओवर एक्सपोजर आगे चलकर उनकी प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है। नई दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में जन स्वास्थ्य शोधकर्ता इंदिरा चक्रवर्ती के मुताबिक कई बार बेहतर इमेज के लिए रोगी के शरीर में रसायन (इंजेक्शन द्वारा)प्रवेश करवाए जाते हैं। इनके तत्कालिक व दीर्घकालिक कुप्रभाव मरीज को झेलने पड़ते हैं।
बच्चों में रेडिएशन की वजह से होने वाले कैंसर का खतरा, वयस्कों की तुलना में दो-तीन गुणा ज्यादा होता है। रेडिएशन के प्रति ओवर एक्सपोजर आगे चलकर उनकी प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है। नई दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में जन स्वास्थ्य शोधकर्ता इंदिरा चक्रवर्ती के मुताबिक कई बार बेहतर इमेज के लिए रोगी के शरीर में रसायन (इंजेक्शन द्वारा)प्रवेश करवाए जाते हैं। इनके तत्कालिक व दीर्घकालिक कुप्रभाव मरीज को झेलने पड़ते हैं।
एक्सपर्ट की राय -
मैमोग्राफी, स्पेशल इंवेस्टीगेशन और सीटी स्कैन जैसी जांचों में रेडिएशन काफी ज्यादा होता है इसलिए किसी भी मरीज को इन्हें बार-बार कराने से बचना चाहिए। इन्हें तभी करवाएं जब आपके डॉक्टर इनकी सलाह दें। रेडिएशन का सबसे ज्यादा असर बच्चों व गर्भवती महिलाओं को होता है। अगर किसी महिला को यह पता ना हो कि वह गर्भवती है और शुरुआती दो महीनों में उसका एक्स-रे हो जाए तो बच्चे को काफी नुकसान हो सकता है। हालांकि अब ऐसी कई तकनीकें आ गई हैं जिनसे रेडिएशन का खतरा काफी कम हो गया है।
मैमोग्राफी, स्पेशल इंवेस्टीगेशन और सीटी स्कैन जैसी जांचों में रेडिएशन काफी ज्यादा होता है इसलिए किसी भी मरीज को इन्हें बार-बार कराने से बचना चाहिए। इन्हें तभी करवाएं जब आपके डॉक्टर इनकी सलाह दें। रेडिएशन का सबसे ज्यादा असर बच्चों व गर्भवती महिलाओं को होता है। अगर किसी महिला को यह पता ना हो कि वह गर्भवती है और शुरुआती दो महीनों में उसका एक्स-रे हो जाए तो बच्चे को काफी नुकसान हो सकता है। हालांकि अब ऐसी कई तकनीकें आ गई हैं जिनसे रेडिएशन का खतरा काफी कम हो गया है।
अगर आप भी करवाते हैं बार-बार सेहत की जांच तो हो जाएं सावधान/Agar aap bhi karawate hai baar-baar sehat ki janch to ho jaen savadhaan
Reviewed by health
on
December 22, 2018
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