Saanson Par Dhyaan Dene se Door Honge Avasaad, Gussa, Ghirna aur Nakaraatmak Vichaar- सांसों पर ध्यान देने से दूर होंगे अवसाद, गुस्सा, घृणा और नकारात्मक विचार
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Saanson Par Dhyaan Dene se Door Honge Avasaad, Gussa, Ghirna aur Nakaraatmak Vichaar |
Saanson Par Dhyaan Dene se Door Honge Avasaad, Gussa, Ghirna aur Nakaraatmak Vichaar - सांस ही प्राण है। इसलिए हमारे यहां ऑक्सीजन को प्राणवायु कहा गया है। यही वजह है कि सदियों से हमारी संस्कृति और रोजमर्रा के जीवन में प्राणायाम को प्रभावी माना गया है। नए दौर में विदेशी भी मानने लगे हैं कि यदि हमें अच्छा स्वास्थ्य और जीवन चाहिए तो अपनी हर एक सांस पर ध्यान देना होगा। अपनी आने-जाने वाली सांस पर ध्यान देने से न सिर्फ हम शारीरिक बल्कि मानसिक विकारों से भी दूर रह सकते हैं। सांस हमारे तनाव, बेचैनी और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर सकती है। अच्छी सांस तन और मन में सात आश्चर्यजनक बदलाव ला सकती है लेकिन इसके लिए अभ्यास की जरूरत है।
दिमागी क्षमता में वृद्धि -
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हुए शोध के अनुसार मेडिटेशन से हमारे मस्तिष्क का आकार विस्तार लेता है (कार्टेक्स हिस्से की मोटाई बढ़ने लगती है)। इससे मस्तिष्क की तार्किक क्षमता में बढ़ोतरी होती है। सोने के बाद गहरी सांस लेने का अभ्यास दिमागी क्षमता को बढ़ाता है।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हुए शोध के अनुसार मेडिटेशन से हमारे मस्तिष्क का आकार विस्तार लेता है (कार्टेक्स हिस्से की मोटाई बढ़ने लगती है)। इससे मस्तिष्क की तार्किक क्षमता में बढ़ोतरी होती है। सोने के बाद गहरी सांस लेने का अभ्यास दिमागी क्षमता को बढ़ाता है।
दिल की धड़कन में सुधार -
मेडिकल साइंस की रिसर्च में यह पाया गया कि दिल की दो धड़कनों के बीच अंतर होता है जिसे लो हार्ट रेट वैरिएबिलिटी के नाम से जाना जाता है। ऐसे में दिल के दौरा का अंदेशा बहुत ज्यादा होता है। गहरी सांस वाले प्राणायाम के जरिए इस स्थिति को सुधारा जा सकता है।
मेडिकल साइंस की रिसर्च में यह पाया गया कि दिल की दो धड़कनों के बीच अंतर होता है जिसे लो हार्ट रेट वैरिएबिलिटी के नाम से जाना जाता है। ऐसे में दिल के दौरा का अंदेशा बहुत ज्यादा होता है। गहरी सांस वाले प्राणायाम के जरिए इस स्थिति को सुधारा जा सकता है।
तनाव में कमी, मन को शांति -
कमजोर सांस तनाव की स्थिति में शरीर को लड़ने की पूरी ताकत नहीं देती। लेकिन यदि केवल सांसों पर ध्यान लगाएं तो मन की आकुलता घटती है। गहरी सांस से नर्वस सिस्टम उत्तेजना, प्रेरणा वाली पैरा सिम्पेथेटिक स्थिति में चला जाता है, जो मन को आराम, सुकून की स्थिति होती है।
कमजोर सांस तनाव की स्थिति में शरीर को लड़ने की पूरी ताकत नहीं देती। लेकिन यदि केवल सांसों पर ध्यान लगाएं तो मन की आकुलता घटती है। गहरी सांस से नर्वस सिस्टम उत्तेजना, प्रेरणा वाली पैरा सिम्पेथेटिक स्थिति में चला जाता है, जो मन को आराम, सुकून की स्थिति होती है।
नकारात्मकता से मुक्ति -
अधिकांश लोग जब पीड़ा या तनाव में होते हैं तो उनकी सांसे उखड़ी रहती हैं। यह हमारे शरीर की कुदरती प्रतिक्रिया होती है। अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करने के किसी भी व्यायाम से बेचैनी, अवसाद, गुस्से और घृणा से भरे नकारात्मक विचारों को दूर करने में मदद मिलती है।
अधिकांश लोग जब पीड़ा या तनाव में होते हैं तो उनकी सांसे उखड़ी रहती हैं। यह हमारे शरीर की कुदरती प्रतिक्रिया होती है। अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करने के किसी भी व्यायाम से बेचैनी, अवसाद, गुस्से और घृणा से भरे नकारात्मक विचारों को दूर करने में मदद मिलती है।
चुनौती की घड़ी में संयम -
एक स्टडी में बताया गया कि जो बच्चे अपनी परीक्षा से पहले गहरी सांस लेना सीख जाते हैं उनका ध्यान बढ़ता है और याद किए पाठ को दोहराने की योग्यता में सुधार होता है।
एक स्टडी में बताया गया कि जो बच्चे अपनी परीक्षा से पहले गहरी सांस लेना सीख जाते हैं उनका ध्यान बढ़ता है और याद किए पाठ को दोहराने की योग्यता में सुधार होता है।
ब्लड प्रेशर पर काबू -
हर रोज महज कुछ मिनटों के लिए गहरी सांस लेने और छोड़ने का अभ्यास काफी हद तक आपके ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर सकता है। गहरी सांस लेने से शरीर शांत स्थिति में आता है। ऐसा होने पर इससे रक्त वाहिनियों को अस्थायी रूप से खून को पूरे शरीर में नियंत्रित दबाव के साथ पहुंचाने में मदद मिलती है।
हर रोज महज कुछ मिनटों के लिए गहरी सांस लेने और छोड़ने का अभ्यास काफी हद तक आपके ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर सकता है। गहरी सांस लेने से शरीर शांत स्थिति में आता है। ऐसा होने पर इससे रक्त वाहिनियों को अस्थायी रूप से खून को पूरे शरीर में नियंत्रित दबाव के साथ पहुंचाने में मदद मिलती है।
जीन में सकारात्मक बदलाव -
यह सबसे बड़ा और बेहद महत्वपूर्ण बदलाव है जो सचमुच इस तरह होता है कि हमें पता ही नहीं चलता। संभवत: इसके अच्छे परिणाम हमें हमारी आने वाली पीढ़ियों में नजर आते हैं। योगा, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से सांसों की गति को नियंत्रित करने से हमारी जेनेटिक संरचना में प्रभावी बदलाव होते हैं। इसमें केवल तन ही नहीं बल्कि मन के स्तर पर भी परिवर्तन होते हैं। इससे हमारे अच्छे जीन ज्यादा संवेदनशील बनते हैं।
यह सबसे बड़ा और बेहद महत्वपूर्ण बदलाव है जो सचमुच इस तरह होता है कि हमें पता ही नहीं चलता। संभवत: इसके अच्छे परिणाम हमें हमारी आने वाली पीढ़ियों में नजर आते हैं। योगा, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से सांसों की गति को नियंत्रित करने से हमारी जेनेटिक संरचना में प्रभावी बदलाव होते हैं। इसमें केवल तन ही नहीं बल्कि मन के स्तर पर भी परिवर्तन होते हैं। इससे हमारे अच्छे जीन ज्यादा संवेदनशील बनते हैं।
Saanson Par Dhyaan Dene se Door Honge Avasaad, Gussa, Ghirna aur Nakaraatmak Vichaar- सांसों पर ध्यान देने से दूर होंगे अवसाद, गुस्सा, घृणा और नकारात्मक विचार
Reviewed by health
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January 05, 2019
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